बदायूं के मिनी कुंभ मेला ककोड़ा में मना देवोत्थान एकादशी पर्व, श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की
बदायूं। रुहेलखंड के सुप्रसिद्ध मिनी कुंभ मेला ककोड़ा में देवोत्थान एकादशी का पर्व श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया। सुबह से ही गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हर-हर गंगे और जय श्री हरि के जयघोष से पूरा मेला क्षेत्र गुंजायमान रहा। भक्तों ने भगवान विष्णु के चार माह के शयन के बाद जागरण के प्रतीक इस पर्व पर विशेष पूजा-अर्चना की। गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंदी, धूप, दीप और तुलसी दल अर्पित कर श्रद्धालुओं ने व्रत का पालन किया। गंगा स्नान के बाद भक्तों ने हवन, भजन-कीर्तन और दीपदान कर लोककल्याण की कामना की। शाम होते ही पूरे मेला क्षेत्र में हजारों दीपों की रोशनी से अलौकिक दृश्य बन गया। गंगा तट पर अखिल विश्व गायत्री परिवार, सामाजिक संस्थाओं और साधु-संतों ने मिलकर सामूहिक आरती का आयोजन किया। श्रद्धालुओं ने दीपदान कर मां गंगा से देश, समाज और मानवता की समृद्धि की प्रार्थना की। गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि देवोत्थान एकादशी भगवान विष्णु के जागरण का ही नहीं, बल्कि मानव चेतना के जागरण का भी प्रतीक है। जब व्यक्ति अपने भीतर की बुराइयों को त्यागकर सत्य, सेवा और सदाचार के मार्ग पर चलता है, तभी वास्तविक जागरण होता है। इस दिन हमें न केवल पूजा-अर्चना करनी चाहिए, बल्कि अपने जीवन में सत्कर्मों का आरंभ करने का संकल्प भी लेना चाहिए। शिक्षक प्रेमपाल सिंह ने कहा कि देवोत्थान एकादशी आत्मसंयम, अनुशासन और कर्त्तव्य पालन का पर्व है। जब मनुष्य अपनी आत्मा को जाग्रत करता है, तभी समाज में परिवर्तन संभव होता है। हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहकर समाज में सद्भाव और एकता का संदेश देना चाहिए। मेले में साधु-संतों ने प्रवचन के माध्यम से देवोत्थान एकादशी का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन नई शुरुआत, नवचेतना और सकारात्मक सोच का प्रतीक है। श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु, मां गंगा और मां ककोड़ा देवी की पूजा-अर्चना की। मेला क्षेत्र में प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल तैनात रहा। जगह-जगह चिकित्सा शिविर, जलपान केंद्र और लाउडस्पीकर से सूचना प्रसारण की व्यवस्था की गई थी। रात होते-होते गंगा किनारे भक्ति की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दी। हजारों दीपों की रोशनी में गंगा का प्रवाह स्वर्णिम नजर आ रहा था। डेरा तंबू में भी देवोत्थान एकादशी पर भक्तों ने भगवान विष्णु और मां गंगा से अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सद्भाव की कामना की। इस मौके पर मुनीश सिंह, तरुण पटेल, संगीता, रागिनी, पायल, सुगंध, सत्यपाल सिंह, नन्ही देवी, उदयवीर सिंह आदि मौजूद रहे। रूहेलखंड के सुप्रसिद्ध मिनी कुंभ मेला ककोड़ा में इस समय श्रद्धा और आस्था का अभूतपूर्व संगम देखने को मिल रहा है। गंगा तट पर तंबुओं का विशाल शहर बस चुका है। हजारों श्रद्धालु दूर-दराज़ के क्षेत्रों से पहुंचकर मां गंगा के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। जल स्तर कम होने के बावजूद हर-हर गंगे के उद्घोष से पूरा मेला क्षेत्र गुंजायमान हो उठा है। श्रद्धालुओं ने प्रशासन से मांग की है कि गंगा में शीघ्र ही जल प्रवाह बढ़ाया जाए, ताकि स्नान और भी सुगमता से हो सके। पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मेला क्षेत्र में सांस्कृतिक मंच तैयार हो चुका है, जहां प्रतिदिन भक्ति, लोकगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों होंगी। विभिन्न सरकारी विभागों की प्रदर्शनियां भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। मीना बाजार में तरह-तरह की दुकानों, खिलौनों, चूड़ियों, मिठाइयों और ग्रामीण उत्पादों की बहार है। गंगा तट पर प्रसाद, खिलौनों और धार्मिक वस्तुओं की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी है। चाट, पकौड़ी, मूंगफली और पेठे के ठेलों पर लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। पारंपरिक खुजला बनाने का कार्य जोरों पर चल रहा है।देवोत्थान एकादशी पर्व को लेकर मेले में गन्ने की बिक्री चरम पर पहुंच गई है। श्रद्धालु गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंदी और प्रसाद सामग्री खरीदकर भगवान विष्णु को अर्पित कर रहे हैं।ट्रैक्टर-ट्रालियों, मोटरसाइकिलों, साइकिलों, टेंपो और कारों से पहुंचते श्रद्धालुओं का सिलसिला निरंतर जारी है। पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण से सराबोर है। मिनी कुंभ मेला ककोड़ा एक बार फिर आस्था, संस्कृति और जन श्रद्धा का अद्भुत संगम बन गया है।




















































































