बरेली। प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर में श्री अन्नकूट महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर परिसर भक्तों से खचाखच भरा रहा। महंत तुलसीस्थल पंडित नीरजनयन दास ने कहा कि अन्नकूट महोत्सव की असीम महिमा है, यह पर्व सामाजिक एकता का प्रतीक है जहां सभी वर्गों और आयु के लोग एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। महंत तुलसीस्थल के पंडित नीरजनयन दास ने महोत्सव की ऐतिहासिक कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि द्वापर युग में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन देवताओं के राजा इंद्र को छप्पन भोग अर्पित किए जाते थे। जब भगवान श्रीकृष्ण ने इसका कारण माता यशोदा से जाना, तो उन्होंने बताया कि वर्षा इंद्र देव के कारण होती है। तब श्रीकृष्ण ने समझाया कि वास्तविक कारण गोवर्धन पर्वत है, जो वर्षा और समृद्धि का कारण बनता है। उन्होंने ब्रजवासियों से कहा कि अब गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाए। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने घनघोर वर्षा कर दी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सात दिन तक ब्रजवासियों की रक्षा की। इंद्र का अहंकार दूर हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। तभी से यह पर्व गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महंत तुलसीस्थल ने गौ रक्षा का संदेश देते हुए कहा कि “गाय की हर वस्तु मानव के लिए अमूल्य और औषधि स्वरूप है। अतः गौ सेवा ही गोपाल की सेवा है।” महोत्सव के दौरान मंदिर सेवा समिति द्वारा भव्य महाआरती का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आरती के पश्चात मंदिर के कृष्ण कथा स्थल में हजारों भक्तों ने अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार, भाजपा महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना, एवं रामगोपाल मिश्रा सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की सफलता में मंदिर सेवा समिति के प्रताप चंद्र सेठ, मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल, सुभाष मेहरा, हरिओम अग्रवाल, विनय कृष्ण, नितीश टंडन, नवीन अग्रवाल आदि का विशेष सहयोग रहा।