एक हफ्ते में नफरत फैलाने वाले नेताओं और संगठनों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करने को मजबूर होंगे : तौकीर

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बरेली। में तौकीर रज़ा ने जहां मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला, तो वही कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयानों का समर्थन किया। तौकीर रज़ा ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य ने महिलाओं के लिए कुछ भी गलत नहीं कहा। वही उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के मिनी पाकिस्तान और मुस्लिम महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी पर कहा कि रामभद्राचार्य को दिखता नहीं है, इसलिए उन्हें जो सपने में दिखा वो बोल रहे है। संतो को ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए। वही मुस्लिम धर्म में महिलाओं के अपमान पर बोलते हुए कहा ये सनातन धर्म में होता है। वहां कहावत है ढोल, गवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी, यही सनातन है। वही शाहजहांपुर में नबी की शान में हुई गुस्ताखी पर कहा कि अगले सप्ताह मुसलमान सड़को पर आकर प्रदर्शन करेगा। दरगाह आला हजरत से जुड़े और आई एम सी अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार पर तीखे हमले बोले। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मुसलमानों पर हो रहे अन्याय नहीं रुके, पैगंबर साहब की शान में हो रही गुस्ताखी और धार्मिक मामलों में दखल पर कार्रवाई नहीं हुई, तो मुसलमान सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा – “हमारी खामोशी को हमारी कमजोरी या बुजदिली न समझा जाए। जिस दिन मुसलमान हमारे नियंत्रण से बाहर हो गए, हालात गंभीर हो जाएंगे। हम भारत को श्रीलंका और नेपाल नहीं बनने देंगे। लेकिन नेपाल से ज्यादा आक्रोश भारत की जनता में सरकार के प्रति है, जिस दिन लोग सड़को पर आ गए सरकार सम्हाल नहीं पायेगी।” तौकीर रज़ा ने कहा कि शाहजहांपुर में पैगंबर साहब की शान में गुस्ताखी हुई, लिंचिंग हुई और मुसलमानों पर हमलों पर न तो सरकार ने कोई सख़्ती दिखाई और न ही सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब हिन्दुत्ववादी संगठनों की साजिश है, जो देश में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना था – “हमने हर जुल्म सहा, हर तकलीफ बर्दाश्त की, लेकिन रसूल-ए-अकरम की शान में गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं कर सकते। हमें नमकहराम कहा जाता है, जबकि असली हरामखोर वे लोग हैं, जो अंग्रेजों के तलवे चाटते रहे और आज सत्ता में बैठे हैं।”प्रेस कॉन्फ्रेंस में तौकीर रज़ा ने जिला प्रशासन और सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने कहा कि अगर एक हफ्ते के अंदर नफरत फैलाने वाले नेताओं और संगठनों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करने को मजबूर होंगे। हमने अब तक सिर्फ इसलिए चुप्पी साधी, क्योंकि हमें अपने देश से मोहब्बत है। हम दंगा फसाद या अफरातफरी नहीं चाहते। लेकिन अगर हालात ऐसे ही रहे तो हम विरोध करेंगे और इसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं, सरकार की होगी।”मौलाना ने हाल ही में आगरा और बरेली में धर्मांतरण के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस और सरकार एकतरफा कार्रवाई कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया -“जब मुसलमानों पर मामला आता है तो तुरंत केस दर्ज होते हैं, लेकिन जब हिंदू संगठन धर्मांतरण कराते हैं, तब कोई कार्रवाई नहीं होती। यह दोहरा कानून और दोहरा न्याय है, जो साबित करता है कि भारत में कानून नाम की कोई चीज नहीं बची।” मौलाना ने श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल के उदाहरण देकर कहा कि वहां हालात बिगड़ने पर जनता सड़कों पर उतर आई और सरकारें हिल गईं। उन्होंने कहा – “भारत के मुसलमानों की संख्या श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल की कुल आबादी से भी ज्यादा है। अगर मुसलमान सड़कों पर आ गए तो सरकार को झुकना पड़ेगा। लेकिन हम अपने देश से प्यार करते हैं, इसलिए अब तक हमने किसी तरह की हिंसक प्रतिक्रिया नहीं दी।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तौकीर रज़ा ने निशाना साधते हुए कहा – “मोदी हमारे भी प्रधानमंत्री हैं, लेकिन वे सिर्फ सनातन धर्म के प्रधानमंत्री बने हुए हैं। हम नमक हलाल हैं, हमने कभी बीजेपी का नमक नहीं खाया। हम अपने देश का नमक खाते हैं और हमेशा वफादार रहेंगे।” चुनाव आयोग को लेकर भी तौकीर रज़ा ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वोट चोरी का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश का मुद्दा है। आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है और NRC को बाइपास तरीके से लागू करने की कोशिश की जा रही है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के मिनी पाकिस्तान वाले बयान पर तौकीर रजा ने कहा मै उनके लिए क्या कहू, उन्हें तो कुछ दिखता ही नहीं है। उन्होंने जो सपने में देखा वही बोल रहे है। रामभद्राचार्य और अन्य संतों द्वारा मुस्लिम समाज पर दिए गए बयानों पर भी तौकीर रज़ा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा – “हमारे यहां ढोल-गंवार-शूद्र-नारी जैसी कोई कहावत नहीं है। इस्लाम में महिलाओं को बराबर का दर्जा दिया गया है। पैगंबर साहब ने बेटियों की इज्ज़त करने और उन्हें पालने वालों को जन्नत का हकदार बताया है।” ढोल गवार शूद्र पशु नारी, यही सनातन है। अंत में तौकीर रज़ा ने साफ शब्दों में कहा – “हम सरकार से नौकरी नहीं मांगते, न किसी राजनीतिक दल से मदद चाहते हैं। बस इतना चाहते हैं कि हमें मुसलमान की तरह अपने धर्म पर अमल करने की आज़ादी मिले। हमारे बुजुर्गों, कुरान और पैगंबर साहब का अपमान अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर इसके बाद कोई घटना हुई तो इसकी जिम्मेदारी सरकार और सत्ता में बैठे लोगों की होगी।”

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