सैयद मुनव्वर अली मेमोरियल जूनियर हाई स्कूल में हिंदी दिवस मनाया,परिचर्चा हुई

बदायूं। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर, सैयद मुनव्वर अली मेमोरियल जूनियर हाई स्कूल में आयोजित एक विशेष परिचर्चा ने हिंदी भाषा के भविष्य पर गहन विचार-विमर्श का मंच प्रदान किया। इस परिचर्चा का मुख्य विषय था, हिंदी भाषा का सम्पूर्ण भारत में प्रसार कैसे हो और इसको कामकाज में अनिवार्य रूप से कैसे लागू करेंए हिन्दी दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अतुल कुमार श्रोत्रिय, मण्डलीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश सीनियर बेसिक शिक्षक संघ बरेली मण्डल बरेली ने परिचर्चा में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिंदी के उत्थान के लिए एक विस्तृत रूपरेखा की आवश्यकता है और हिंदी का विकास व प्रसार केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, बल्कि यह हम सभी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है। क्षोत्रिय ने कहा कि हिंदी को केवल एक विषय के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में प्रयोग का माध्यम बनाना होगा एवं हम सभी को अपने समस्त दैनिक और व्यावसायिक कार्य हिंदी में ही करने होंगे, तभी हिंदी सही मायने में राष्ट्रभाषा बन पाएगी। शिक्षा किसी भी भाषा के प्रसार का सबसे सशक्त माध्यम होती है। श्रोत्रिय जी ने इस बात पर विशेष बल दिया कि भारत में शिक्षा प्रदान करने के लिए हिंदी को प्रथम माध्यम बनाया जाना चाहिए। जब बच्चे अपनी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा में शिक्षा ग्रहण करते हैं, तो वे न केवल विषयों को बेहतर ढंग से समझते हैं, बल्कि अपनी संस्कृति और जड़ों से भी जुड़ते हैं। हिंदी को शिक्षा का मुख्य माध्यम बनाने से देश के कोने-कोने में इसकी स्वीकार्यता बढ़ेगी और यह अगली पीढ़ी के लिए स्वाभाविक रूप से विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। सैयद मुताहिर अली जिलानी ने परिचर्चा में बताया कि हिंदी को कामकाज में अनिवार्य रूप से लागू करना बेहद जरूरी है। सरकारी कार्यालयों से लेकर निजी संस्थानों तक, सभी को अपने पत्राचार, फाइलिंग और आधिकारिक संवाद में हिंदी को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे न केवल हिंदी का सम्मान बढ़ेगा, बल्कि उन लाखों लोगों को भी सुविधा होगी जो अंग्रेजी में सहज नहीं हैं। यह कदम एक समावेशी समाज की स्थापना में भी सहायक होगा, जहाँ भाषा के आधार पर कोई भेदभाव न हो। अंत में, यह स्पष्ट है कि हिंदी का संपूर्ण भारत में प्रसार और विकास एक सामूहिक प्रयास है। यह केवल सरकार या किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक भारतीय की जिम्मेदारी है और हम सभी मिलकर हिंदी को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएंगे, तभी यह वास्तव में जन-जन की भाषा बन पाएगी और भारत को सांस्कृतिक और भाषाई एकता के सूत्र में पिरो सकेगी। हिन्दी दिवस की परिचर्चा में सैयद सरवर अली, रिटायर्ड प्र0अ0 ईसार हुसैन, रामनारायण पाठक, तारिक सिददीकी,संजीव कुमार सिंह, फैययाज हुसैन, शाकिर हुसैन, नरसिह, दीपक बाबू, नवनीत उपाध्याय, परवेज आलम आदि उपस्थित रहे।