नए साल में चार ग्रहण, भारत में दो ही होंगे दृश्यमान
वाराणसी । नया साल 2021 खगोलीय दृष्टि से बेहद खास रहने वाला है। इस वर्ष में कुंडली में शुभ योगों के कारण भारत की विश्व पटल पर चारों तरफ जय-जयकार होगी। विश्व पटल पर वर्ष 2021 में चार ग्रहण लगेंगे। इसमें दो चंद्रग्रहण व दो सूर्य ग्रहण होंगे। खास यह कि भारत में सिर्फ दो चंद्रग्रहण दिखाई देंगे। यह पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों में अल्पकाल के लिए दृश्यमान होगा।श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति के पूर्व सदस्य ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार वर्ष का पहला ग्रहण वैशाख पूर्णिमा 26 मई 2021 को लग रहा है। यह खग्रास चंद्र ग्रहण के रूप में चंद्रोदय के समय आंशिक रूप से भारत के कुछ हिस्सों में ही दृश्य होगा। वहीं ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून को सूर्य ग्रहण लग रहा है जो कंकणाकृति होगा और भारत में दृश्य नहीं होगा। यह अमेरिका के उत्तरी भूभाग, एशिया के उत्तरी और अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा। कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा दिन शुक्रवार 19 नवबंर 2021 को लगने वाला खंडग्रास चंद्र ग्रहण
भारत के सुदूर पूर्वोत्तर भाग में अल्प समय के लिए दृश्य होगा। वर्ष का आखिरी ग्रहण, खग्रास सूर्य ग्रहण मार्गशीर्ष अमावस्या शनिवार चार दिसंबर 2021 को लग रहा है जो भारत में दृश्य नहीं होगा। विश्व पटल पर यह ग्रहण आस्ट्रेलिया के अधिकतम भाग दक्षिण हिंद महासागर, अंटार्टिका, दक्षिण अफ्रीका आदि में दिखाई देगा।
विवाहादि के लिए भी नया साल खास
वर्ष 2021 विवाह लग्न की दृष्टि से भी विशेष होगा। हालांकि इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। वास्तव में मकर संक्रांति को खरमास समाप्त होने के बाद लग्न मुहुर्त प्रचुर होते हैं। वहीं, इस बार शादी-विवाह मांगलिक कार्य के कारक ग्रह वृहस्पति व शुक्र के अस्त होने से नववर्ष 2021 में लग्न मुहुर्त का प्रारंभ काफी विलंब से यानी 22 अप्रैल से होगा।
पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद 16-17 जनवरी शनिवार रात्रि 2:45 से देवगुरु वृहस्पति अस्त हो जाएंगे। 12 फरवरी को दिन में 10:06 मिनट पर उदित होंगे तो वहीं वृहस्पति के बाद फिर शुक्र भी 17 फरवरी को दिन में 10:10 मिनट पर अस्त हो जाएंगे। जो 19 अप्रैल को शुक्रोदय पश्चिम में प्रात: 5:41 पर होगा। उसके बाद 22 अप्रैल से मांगलिक कार्यक्रम प्रारंभ होंगे।
चिंतन को बढ़ावा देने वाला होगा नया साल
बीएचयू ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार नववर्ष का सूर्योदय ङ्क्षचताओं को कम करके चिन्तन को बढ़ावा देने वाला है। लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक तो कर्तव्यों के प्रति कुछ लापरवाह भी
रहेंगे। वर्षारंभ में नीच राशि के वृहस्पति के साथ पंच ग्रही एवं षड्ग्रही योग आंतरिक कलह के कुछ क्षेत्रों मे असंतुलन उत्पन्न करने वाला है। सूर्य-राहु का षडष्टक योग पूर्वी गोलाद्र्ध के देशों में प्राकृतिक आपदा, भूकंप, समुद्री तूफान, तथा कई महानगरों में उग्रवाद जन्य जनधन हानि का संकेत दे रहा है । विश्व व्यापार में परिवर्तन होकर सुधार होने पर भी अनेक राष्ट्रों में मंहगाई बेरोजगारी की समस्याएं उभरेंगी। कट्टरवादी ताकतें दक्षिणी तथा पूर्वी प्रांत व देश के मध्य भाग में अनेक उपद्रवकारी घटनाओं को जन्म देंगी। विश्व के कुछ देशों में आर्थिक मंदी का दौर चलेगा। गुरु शनि की युति धार्मिक एवं सांप्रदायिक तनाव की स्थिति भी उत्पन्न करेगी। परंतु मार्च के बाद स्थितियां काफी तीव्र गति से सुधरेंगी कोरोना का प्रभाव भी कम होगा तथा शीतकालीन अनाजों की फसल उत्तम होगी। फल की फसल संतोष जनक होगी। शिक्षा जगत में भी सक्रियता बढ़ेगी । अन्य देशों में भारत का प्रवेश बढ़ेगा, जिससे राष्ट्र की उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।
पूरे साल शुक्र का प्रतिनिधित्व
ख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री के अनुसार नववर्ष 2021 शुक्रवार के दिन आरंभ होने से संपूर्ण वर्ष पर शुक्र का ही प्रतिनिधित्व रहेगा। इस वर्ष का राजा और मंत्री मंगल ग्रह है। पूरे वर्ष पर शुक्र और मंगल का विशेष प्रभाव दृष्टिगोचर होगा। ग्रहस्थितियों के अनुसार शुभफल की अपेक्षा अशुभफलों की अधिकता रहेगी। इस वर्ष धन-धान्य की संपन्नता रहेगी। फसलों की क्षति का भी योग है। नए में नए रोगों के उत्पन्न होने की संभावना रहेगी। इस वर्ष का लग्न मेष है, जिसका स्वामी मंगल है। इससे आर्थिक पक्ष सबल रहने की उम्मीद है। महंगाई बढऩे की संभावना है। नारी वर्ग का उत्थान होगा। तकनीक और अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई सफलता मिलेगी।