विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण का किया विरोध

बरेली। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को मिलने वाले विशेष लाभ का पूरे पृष्ठ का विज्ञापन प्रकाशित होने से प्रदेश के बिजली कर्मचारियों,जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है। आज संघर्ष समिति की आवश्यक आम बैठक मुख्य अभियंता कार्यलय के समक्ष हुई l बैठक को सम्बोधित करते हुए राजेंद्र प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि “अब हर घर रोशन – उतर प्रदेश” के शीर्षक से प्रदेश सरकार द्वारा जारी पूरे पृष्ठ का विज्ञापन तमाम अंतर्विरोधों से भरा हुआ है। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मांग की है कि वे निजीकरण का अन्तिम फैसला लेने से पहले एक बार संघर्ष समिति को अपना पक्ष रखने का अवसर दें। संघर्ष समिति ने आशा व्यक्त की है कि सही बात जानने के बाद मुख्यमंत्री जी निजीकरण के नाम पर लाखों करोड़ रुपए की लूट नहीं होने देंगे। इर. विपुल शुक्ला ने कहा है कि विज्ञापन में निजीकरण के बाद विश्वसनीयता के उल्लेख से यह स्पष्ट हो जाता है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने विश्वसनीयता खो दी है। कितनी विडम्बना है कि ऐसे में निजीकरण की लूट की प्रक्रिया भी इसी अविश्वसनीय प्रबंधन द्वारा चलाई जा रही है। उत्तर प्रदेश खेतिहर मजदूर संघटन के प्रदेश सचिव राजीव शांत ने कहा कि विज्ञापन में एक ओर वर्ष 2012 – 17 के दौरान बिजली के सुधार कार्यक्रम लिखे है , दूसरी ओर 2017 से आज तक बिजली व्यवस्था में हुए तमाम उल्लेखनीय सुधार गिनाए गए है । आश्चर्य की बात है कि सरकारी क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार बताने वाले इसी विज्ञापन में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को मिलने वाले विशेष लाभ गिनाए गए हैं। इंटक के प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश मेहता ने कहा कि इस विज्ञापन से ऐसा लगता है कि 42 जनपदों की लाखों करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने में लगे पॉवर कारपोरेशन और शासन के कुछ बड़े अधिकारी, जिनकी निजी घरानों के साथ मिली भगत है, l आज हुई विरोध सभा में निजीकरण के विरोध में स्वेच्छा से जेल जाने वाले बिजली कर्मचारियों की सूची तैयार की गई। कल तक जेल भरो आंदोलन की सूचियों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।आज हुई सभा में इर. सतेंद्र चौहान, धर्मराज सिंह, पारस रस्तोगी, ओ पी कुशवाहा ओमप्रकाश सिंह श्रीमती नीमा देवी, छाया सक्सेना राजनारायण गुप्ता बी एस भंडारी मनोज सिंह ने विचार ब्यक्त किए ।