बरेली । क्रांतिकारी किसान मंच , बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन ,परिवर्तन कामी छात्र संगठन, मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, इंकलाबी मजदूर केंद्र के बैनर तले बिजली विभाग के निजीकरण का फैसला वापस लेने और बिजली की विभिन्न समस्याओं को लेकर बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन के महामंत्री संजीव मल्होत्रा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी कार्यालय में सिटी सिटी मजिस्ट्रेट अलंकार अग्निहोत्री को ज्ञापन सौंपा । संजीव मेहरोत्रा ने बताया पावर कॉरपोरेशन वितीय समीक्षा बैठक में बिजली विभाग के दक्षिणांचल और पूर्वाचल वितरण निगमों के निजीकरण का फैसला लिया था और राज्य सरकार भी कारपोरेशन के इस निर्णय पर अपनी सहमति दिखाती नजर आ रही है। बिजली विभाग के निजीकरण का प्रयास राज्य सरकार 2022 के अंत में भी कर चुकी है। इसीलिए संदेह और ज्यादा बढ़ जाता है। किसान बिजली के निजीकरण का विरोध केन्द्र सरकार द्वारा बिजली संशोधन बिल, 2020 लाने से ही कर रहे हैं। इस कानून की वापसी 13 महीने के दिल्ली सीमाओं पर किसान आंदोलन का मुख्य मुद्दा रहा था। 9 दिसंबर को सरकार ने भी लिखित वादा किया था, कि किसानों वार्ता किए बिना बिजली संशोधन बिल नहीं लाया जाएगा। लेकिन मोदी नेतृत्व की केन्द्र सरकार अपने वादे से मुकर गई और लोकसभा में बिजली संशोधन बिल 2022 पेश हुआ। हम सरकार से मांग करते हैं कि उत्तर प्रदेश में दक्षिणांचल और पूर्वाचल वितरण निगमों के निजीकरण पर पूर्ण रोक लगे। सभी ग्रामीण उपभोक्ताओं को हर महीना 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाए। योगी सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करे और ट्यूबवेलों को मुफ्त बिजली दे।स्मार्ट मीटर योजना रद्द की जाए , किसानों के ट्यूबवेलों को 18 घंटे बिना शर्त बिजली की आपूर्ति की जाए , कनेक्शन चार्ज, लाइन, ट्रांसफार्मर, बिलिंग मीटर, कनेक्शन काटने व जोड़ने, तमाम अधिभार आदि उपभोक्ताओं से वसूलना बन्द करे, निजी कम्पनियों से महंगी बिजली खरीदना बंद किया जाए। बिजली विभाग में कर्मचारियों पर थोपी गयी श्रमिक विरोधी नयी सेवा नियमावली वापस की जाए। सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए। राज्य के करोड़ों किसान-मजदूर और आम लोगों के जीवन की जरूरत बन चुकी बिजली को निजी हाथों में जाने से रोका जाए। ज्ञापन देने बालों में संजीव मेहरोत्रा, सर्वेश मौर्य, मोहित, कैलाश, ललित, फैसल, हिमांशु आदि मौजूद थे।