प्रधानमंत्री मोदी ने विद्यार्थियों से की परीक्षा पे चर्चा

बिल्सी: आज बाबा इन्टरनेशनल स्कूल में विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विद्यार्थियों से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाया गया। सीबीएसई द्वारा स्कूलों को कार्यक्रम के लाइव टेलिकास्ट की व्यवस्था करने और छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया गया था। कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम को देखा। कार्यक्रम में पीएम और छात्रों के बीच चर्चा का मुख्य विषय बोर्ड परीक्षा और परीक्षा से जुड़ी समस्याएं रहीं। जिसमें परीक्षा के दौरान तनाव और घबराहट जैसी स्थिति से छात्र कैसे निपटें, इस पर भी चर्चा हुई। कार्यक्रम में परीक्षा के दबाव को दूर करने के लिए पीएम ने छात्र-छात्राओं को मंत्र दिए। पीएम ने बच्चों के कहा, मैं आपका दोस्त हूं। यह प्रधानमंत्री का कार्यक्रम नहीं बल्कि बच्चों का कार्यक्रम है।‘ इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने पीएम से परीक्षा के दबाव पर सवाल पूछे। पीएम ने विवेकानंद जी का जिक्र करते हुए बच्चों से कहा कि विवेकानंद जी कहा करते थे कि अपने आप को कम नहीं आंको। बच्चों ने सवाल किया कि परीक्षा से पहले हम बहुत तैयारी करते हैं, लेकिन परीक्षा देते समय सब कुछ भूल जाते हैं. इस पर पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे समय में सबसे जरूरी है आत्मविश्वास बनाए रखना। प्रधानमंत्री ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ईमानदारी से मेहनत के बाद भी अगर आत्मविश्वास नहीं होता है तो सब याद आता है लेकिन शब्द याद नहीं आता। आप ये जानने की कोशिश करें कि आप किसमें बेहतर कर सकते हैं. इस काम में आपके दोस्त भी मदद कर सकते हैं. जब भी आप प्रतिस्पर्धा में उतरते हैं तो आप तनाव महसूस करते हैं. आप ऐसे में खुद को न देखकर सामने वाले को ही देखते हैं, जो कि नुकसानदेह है. अगर हम खुद से प्रतिस्पर्धा करेंगे तो बेहतर रिजल्ट मिलेगा. प्रधानमंत्री ने अभिभावकों को भी सलाह दी कि वे अपने बच्चों के सामर्थ्य की तुलना दूसरे बच्चों से न करें। दुनिया में हर बच्चे में अलग खासियत होती है। मां-बाप को इससे पहचानने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने बच्चों पर अभिभावकों की ओर से अधिक अंक लाने के लिए दिए जाने वाले दबाव के बारे में पूछे जाने पर कहा कि माता-पिता के इरादों पर शक न करें। वे हमारे लिए अपना जीवन खपा देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को खुद के साथ स्पर्धा करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा नहीं, अनुस्पर्धा करें। अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं, देखें कि आप पहले जितना कर पाते थे, उससे अधिक कर पाते हैं या नहीं। आत्मविश्वास कोई जड़ी-बूटी नहीं। यह कोशिशों से बढ़ता है। इसलिए निरंतर कोशिश करनी चाहिए और हमें सोचना चाहिए कि मैं जो हूँ, उससे अधिक और आगे जाऊंगा। हमें अपने आप को हर पल कसौटी पर कसने की आदत डालनी चाहिए। आत्मविश्वास हर कदम पर कोशिश करते हुए बढ़ता है। ध्यान के लिए कुछ विशेष करने की जरूरत नहीं है। बस मन लगाकर अपना काम करें। अपने आप को जानने की कोशिश करें। हमारे माता-पिता भी हमारे लिए अपनी जिंदगी खपा देते हैं। मां-बाप के जीवन का सपना होता है कि वह अपने बच्चों को कुछ बड़ा बनते हुए देखें। बहुत से मां-बाप होते हैं, जिन्होंने अपने बचपन में सपने देखे होते हैं, लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाते तो उन सपनों का बोझ अपने बच्चों पर डाल देते हैं, वे ऐसा न करें। बच्चों को उनके अपने सपने पूरे करने दें। डायरेक्टर अनुज वार्ष्णेय ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों में भावनात्मक रिश्ता होना चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि हम अपने समय का कहां सदुपयोग कर सकते हैं। समय के अनुसार लचीलापन चाहिए। टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। समय को बर्बाद करने वाला काम न करें। एक ही टाइम टेबल हमेशा नहीं चलता। समय के साथ बदलते रहिए। कर्म करते रहिए, नतीजे की फिक्र न करें। प्रधानाचार्या रूपा माहेश्वरी ने बच्चों से कहा कि माता-पिता की भावनाओं को समझकर अपनी परीक्षाओं की तैयारी करनी चाहिए। केवल नम्बर लाने के लिए पढ़ाई न करें, बल्कि पढ़ाई को एक अच्छा इन्सान बनने के साधन के रूप में अपनायें। प्रशासक अमित माहेश्वरी ने विद्यार्थियों से कहा कि अपने माता-पिता की तरह ही शिक्षकों को भी महत्व दें। गुरू-शिष्य परम्परा को बनायें रखें। इस अवसर पर सभी शिक्षकगण उपस्थित रहे।