बरेली में BNS कानून के तहत कोर्ट ने 84 दिन में पहली सजा का फैसला दिया है। तीन साल सात माह की मासूम के साथ दुष्कर्म के मामले में विशेष न्यायाधीश पॉस्को कोर्ट ने दोष सिद्ध करते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वही सजा के साथ आरोपी को 50 हजार रुपये का आर्थिक दंड लगाया है। दरसल यह मामला जिले में बीएनएस अस्तित्व 1जुलाई 2024 में आने के बाद दर्ज हुआ था। आज पॉस्को कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी को दोष सिद्ध किया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी। विशेष न्यायाधीश पॉस्को कोर्ट के जज कुमार मयंक ने अभियुक्त उमाकांत गब्बर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 4 सितंबर 2024 को थाना भुता क्षेत्र में मासूम के पिता ने पॉस्को एक्ट में एक मुकदमा कराया था। पीड़ित पिता ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया था की उसकी पुत्री उम्र करीब चार वर्ष घर के पास खेल रही थी, वहां पर उसके गांव का ही उमाकान्त उर्फ गब्बर उसकी पुत्री को बहला-फुसलाकर ले गया और उसके साथ बुरा काम किया। पीड़ित की तहरीर के आधार पर पुलिस ने अभियुक्त उमाकान्त उर्फ गब्बर के विरूद्ध विवेचना पश्चात् आरोप पत्र के अंतर्गत धारा-65(2) बी.एन.एस. एवं 5 (एम)/6 पाक्सो एक्ट में प्रस्तुत किया था। इस मामले में सरकारी वकील सुभव कुमार मिश्रा ने बताया- BNS की धारा के अंतर्गत इसमें धारा 65 (2) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, कोर्ट परीक्षण के दौरान अभियान पक्ष की ओर से 12 गवाह पेश कराये गए थे वही अभियुक्त पक्ष से 5 गवाह प्रस्तुत कराये गये थे। 4 सितंबर को एफआईआर दर्ज कराई गई थी और 13 नवंबर को आरोप पत्र दाखिल किया गया, आरोप पत्र की दिनांक से 84 दिन में यह फैसला आया है। जिसमे अभियुक्त को आजीवन कारावास जब तक उसके प्राण न निकल जाए तब तक की सजा सुनाई गई है ।