साहित्य के प्रकाश पुंज युवाओ के लिए है प्रेरणा स्रोत…..

बदायूं | हिन्दी कविता के लिए बहुत से लोग अलग -अलग माध्यम से काम कर रहे हैं ऐसे ही बदायूं जनपद में उत्तर प्रदेश हिन्दी प्रचार समिति हिन्दी के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित कर रही है लगाता चार वर्षों से एक सौ एक कवियो का कुंभ कराकर नया कीर्तिमान गढा है |प्रतिवर्ष होने वाले इस आयोजन मे पूरे भारत वर्ष के साहित्यकार उपस्थित होते हैं |जिनके भोजन, ठहरने और सम्मान, काव्य पाठ की वयवस्था निशुल्क रहती है |जिसके संयोजक बदायूं के युवा कवि षटवदन शंखधार है | जो एक जुझारू कवि है | उनके ही अथक प्रयास से साहित्य के प्रकाश पुंज एक साझा काव्य संग्रह तैयार किया गया है | जिसमें पूरे भारतवर्ष के 151 कवि /कवियित्री को शामिल किया गया है | इस संकलन को महामहिम उत्तर प्रदेश राज्यपाल आंनदी बेन पटेल , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य सूचना आयुक्त लखनऊ स्वतंत्रत प्रकाश गुप्ता, मनोज कुमार उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग प्रयागराज, जिलाधिकारी बदायूं निधि श्रीवास्तव, बदायूं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डां ब्रजेश कुमार सिंह के शुभकामना संदेश द्वारा सराहना की गई है | इसके संपादक कवि षटवदन शंखधार ने बताया कि यह प्रथम संकलन है जिसमें अनेक राज्यों के साहित्यकारो की इनमे कविताएँ है | अधिकतर युवाओं को इसमें जोडा गया है | जिनकी रचनाओ से समाज को एक नई दिशा मिलेगी | उत्तर प्रदेश हिन्दी प्रचार समिति लगातार हिन्दी के उत्थान के लिए कार्य कर रही है |
यह संकलन लगातार लोग पढ रहे हैं | और सबकी अच्छी प्रतिक्रिया भी आ रही है |
ग्वालियर के जितेंद्र तिवारी लिखते हैं
बिन फलो का पेड था जो बेसहारा हो गया
पेड जो फलदार था सबका दुलारा हो गया
मथुरा के गोपाल खंडेलवाल नेताओं पर व्यंग करते हैं
गुंडन की सरकार बनाके करते चोरी भारी
खुदई लूट रये जनता कूं जे, खुदई करे रखवारी
बदायूं के षटवदन शंखधार कहते हैं कि हिन्दी भाषा के लिए
सच तो यह है जिस धरती पर हिन्दी बोली जाती है
उससे उत्तम संस्कार की मीठी खुशबू आती है |
पुष्पा माहेश्वरी कहती है
मै होश मे हूँ की तलब तेरी बाकी है
वरना टूटे आइने तो संभाले नही जाते
इस तरह अनेको कवियो के गीत, छंद, मुक्तक, गजल, दोहा इस संकलन मे है जो समाज और देश के लिए अच्छा संदेश देते हैं |