बिल्सी। यज्ञ तीर्थ गुधनी में स्थित प्रज्ञा यज्ञ मंदिर में आर्य समाज का साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध व वेद कथाकार आचार्य संजीव रूप ने श्रद्धालुओं को बताया “वाणी के चार पुण्य होते हैं सत्य , मीठा , हितकारी बोलना तथा मौन रहना! उन्होंने कहा सब श्रेष्ठ कर्मों का नाम यज्ञ है! यदि आप वाणी से सत्य और मीठा बोलते हैं तो वाणी से यज्ञ करते हैं,मन में बुराई का विचार नहीं लाते तो मन से यज्ञ करते , कीसेवा करते हैं तो आप हाथों से यज्ञ करते हैं! आचार्य संजीव रूप ने कहा देवता दो प्रकार के होते हैं पहले जड़ दूसरे चेतन ! जड़ देवता , वायु,, , पृथ्वी,सूर्य चंद्रमाऔर सब नक्षत्र! 11 रूद्र 12 आदित्य इंद्र और प्रजापति कुल 33 प्रकार के देवताओं की पूजाअग्निहोत्र सेसंभव है,इसलिए अपने घर में इन देवों की पूजा करने के लिए नित्य यज्ञ किया करें! चेतन देवताओं में माता-पिता,आचार्य अतिथि तथा पति-पत्नी एक दूसरे के लिए देवी देवता होते हैं इनका सत्कार करना ही इनकी पूजा करना है! मास्टर अगरपाल सिंह ने कहा “हम सबको चाहिए कि जातिवाद छुआछूत वैमनस्य को दूर करें,परस्पर मेल से रहे! इस अवसर पर मास्टर साहब सिंह,राकेश आर्य, संतोष कुमारी ‘ श्रीमती सूरजवती देवी, मुन्नी देवी, गुड्डू देवी ‘ कुमारी ईशा ‘ कौशिकी रानी आदि मौजूद रहे ।