यज्ञ की पूर्ण आहुति के साथ 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का समापन
बिनावर। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का चौथे दिन यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ यज्ञ का समापन हो गया। ग्रामीणों ने दक्षिणा में अपनी बुराई दी। मातृशक्ति और देवकन्याओं ने दीप प्रज्ज्वलित किए। पुसवन, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत और दीक्षा संस्कार हुए।” गौ, गंगा, गायत्री गीता यह मारत की शान पुनीता ” के जयघोष ग्रामीण नगरी गुंजायमान रही। शांतिकुज हरिद्वार से आए टोली नायक यज्ञ शिरोमणि नमो नारायण पांडेय ने कहा कि गुरु के जीवन भर का संपूर्ण तप और शक्ति शिष्य के उत्कर्ष के लिए होती है. संमार्ग दिखाती है। मनुष्यता पाने के लिए श्रेष्ठ ज्ञान अर्जित कर संस्कारवान बनें सुविचारों से आध्यात्मिक प्रखरता लाए। श्रेष्ठ कार्यों से मनुष्य का जीवन बहुमूल्य बनता है। बच्चों को अच्छे संस्कार देकर उदात्त और महान बनाए। मानव जीवन को उपयोगी और उत्कृष्ट बनाने वाले आध्यात्मिक उपचार का नाम ही संस्कार है। उन्होंने कहा यज्ञ का मूल उद्देश्य मानव में देवत्व और धरती पर स्वर्ग का अवतरण धरती पर सतयुग आगमन होगा है। श्रेष्ठ संस्कार व्यक्ति के दूषित चिंतन और भ्रष्ट आचरण को सुधारने वाली औषधि है। इसके सेवन से अनाचार अत्याचार भ्रष्टाचार और व्यभिचार से मानव मात्र को मुक्ति मिलेगी और सहायक टोली नायक समर बहादुर सिंह ने कहा गृहस्थ एक तपोवन है। चार आश्रमों से श्रेष्ठतम है। जिसमें ब्रहमचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास है। गृहस्थ आश्रम में विवाह बंधन सर्वोत्तम बंधन है। पति पत्नी दो शरीर एक आत्मा बनकर रहते हैं। प्रदर्शन, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसे कलंक ने समाज को दूषित कर दिया है। अगर हम समय पर नहीं चेते तो हमारी संस्कृति और मानव जाति का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। जीवन जीने की कला और सामाजिक दायित्व के निर्वहन की विधि परिवार की प्रयोगशाला में ही सीखी जा सकती है।
बच्चों को संस्कार अतिथियों का सत्कार और वृद्धों की सेवा करने की मूल भावना परिवार से मिलती है। शांतिकुंज के जय सिंह राजपूत, अर्पित पांडेय और श्याम पटेल ने मनुज देवता बनें, बने यह धरती स्वर्ग समान प्रज्ञागीत का श्रवण कराया। यज्ञ में पुंसवन अन्न प्राशन, नामकरण, विद्यारंभ, दीक्षा और जन्मदिवस और विवाह दिवस संस्कार भी हुए। नशा उन्मूलन गौ संवर्धन दहेज प्रथा कन्या भ्रूण हत्या, मृतक भोज आदि के प्रति जागरुकता का संदेश दिया गया। युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण और कभी नशा न करने का संकल्प लिया। वहीं ग्रामीणों ने भी अपने बेटे-बेटियों की शादी में दहेज न लेने और देने का संकल्प लिया। ग्रामीणों और दूर दराज से आए साधू-संतों ने यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की विशेष आहुतियां समर्पित की। यज्ञभगवान की परिक्रमा की। अनिल कुमार राठौर, आर्येंद्र सिंह, डीपी सिंह, नरेंद्र पाल शर्मा ने मां गायत्री का पूजन किया। इस मौके पर सुखपाल शर्मा, सुरेंद्रनाथ शर्मा, सुशील कुमार गुप्ता, मदन लाल झा, मनोज कुमार शर्मा, सचिन देव, अन्ना, दिलीप शर्मा, सतीश चंद्र भगवान सिंह, वीरेंद्र रघुनाथ सिंह, उपदेश आदि मौजूद रहे।