गायों की स्थिति की हिंदू युवा वाहिनी भारत ने खोली पोल
बरेली। हिंदू युवा वाहिनी भारत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलवीर सिंह विरदी ने रविवार को हरि मंदिर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और गायों की सुरक्षा को लेकर सरकार की पोल खोल दी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गोवंशीय पशुओं को लेकर जो योजनाएं बताई जाती हैं वह धरातल पर सिपर हैं। गाय आस्था का प्रतीक है परंतु सरकार द्वारा बनवाई गई गौशालाओं में गौवंशियों की हालत बद से बदतर है। उन्होंने गौवंशीय पशुओं को संरक्षित करने और उनके खान-पान का समुचित प्रबंध करने की मांग की। दरअसल उत्तर प्रदेश सहित देश के कुछ प्रदेशों में गौवंशीय पशुओं को लेकर गौकशी करने वालों पर सरकार कहर बनकर टूटी। गौकशी करने वालों पर सरकारी के इशारे पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई साथ ही गौकशी करने बालों पर लंगड़ा ऑपरेशन भी चलाया गया। कई गौकशी करने वाले लोग अपने पैरों पर ठीक से खड़े भी होने लायक नहीं बचे हैं। परंतु हिंदू युवा वाहिनी की इस प्रेस कांफ्रेंस के जरिए महसूस होता है कि गौवंशीय पशु आस्था से ज्यादा राजनीति का प्रतीक बनकर रह गए हैं। हिंदू युवा वाहिनी भारत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलवीर सिंह विरदी ने गौवंशीय पशुओं की हालत पर चिंता जाहिर की है, उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए बताया कि गौवंशीय पशुओं की हालत बहुत ही खराब है। उन्होंने कहा कि वह सिख समाज से आते हैं परंतु सिख समाज भी हिंदू से ही निकला है। वह गौवंश का पूरा सत्कार करते हैं। उन्होंने कहा कि गौवंश संरक्षित नहीं हो पा रहे हैं। गाय कहीं रोड के किनारे बैठी होती हैं तो वाहन उन्हें टक्कर मार देते हैं ,घायल अवस्था में गौवंशों को घूमते हुए देखा जा सकता है। भुखे और लाचार गौवंश अक्सर लोगों को देखने को मिल जाएंगे। उन्होंने गौवंशों को समुचित संरक्षित करने की व्यवस्था बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गौशाला में एक गाय के लिए मात्र 50 रुपए आते हैं और 50 रुपए में गाय को खिला पाना संभव नहीं है,उन्होंने कहा कि नगर निगम को चाहिए कि टैक्स में बढ़ोतरी करें और उस टैक्स से अपने-अपने क्षेत्र में गायों को संरक्षित कर उनके बेहतर खान-पान की व्यवस्था करें , जिससे कि उनके आस्था के प्रतीक गौवंशीय पशुओं को बेहतर जीवन मिल सके। सरकार की योजनाओं पर उन्होंने कहा कि गायों को संरक्षित करने तथा उनकी समुचित बेहतर व्यवस्था का बखान तो किया जाता है परंतु धरातल पर हकीकत बिल्कुल सिपर है। F/V/O -गायों को लेकर राजनीति जमकर की जाती है, परंतु आस्था के प्रतीक गौवंशीय पशुओं को संरक्षित करने में सरकार नाकाम है या फिर संरक्षित करना ही नहीं चाहती। गौशालाओं की हालत बद से बदतर है,वहां पर भूखी गाय कभी भी देखी जा सकती है जो भूख की वजह से तड़प रही होती हैं। ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं। वहीं आवारा पशुओं से किसान भी परेशान है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि गौवंशीय पशुओं के खानपान की एक समुचित व्यवस्था की जाए और उनको संरक्षित किया जाए।