बरेली। हज़रत किब्ला शाह मोहम्मद सक़लैन मियां हुज़ूर के पहले सालाना उर्स मुबारक के आज दूसरे दिन की शुरुआत सुबह बाद नमाज़ फज्र कुरआन ख्वानी से हुई, इसके बाद खानकाह शरीफ़ पर फातिहा ख्वानी की गई और सभी ज़ायरीन के लिए लंगर शुरू कर दिया गया। ख़ानक़ाह शरीफ़ पर ज़ायरीन की आमद उर्स-ए-सकलैनी में शामिल होने के लिए मियां हुज़ूर के मुरीदों में बड़ी बेताबी और खुशी नज़र आ रही है, पूरे भारत से अकीदतमंदों के बड़े-बड़े जत्थे ख़ानक़ाह शरीफ़ पर पहुंच रहे हैं, आज उर्स के दूसरे दिन बड़ी तादाद में मुंबई, भोपाल, झांसी, अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, बिहार के सासाराम आदि जगहों से बड़ी तादाद में जायरीन आए। मज़ार शरीफ़ पर चादर पोशी व गुल पोशी का सिलसिला उर्स में शामिल होने वाले ज़ायरीन बड़ी अकीदत व मोहब्बत के साथ हाज़िरी दे रहे हैं और मज़ार शरीफ़ पर चादर पोशी व गुलपोशी का सिलसिला जारी है। खानकाह शरीफ़ की गलियां तरह-तरह की सजावटों व रंग-बिरंगी बेलों और झालरों से आने वाले जायरीन का इस्तकबाल कर रही हैं। इस बीच बरेली के विभिन्न क्षेत्रों से व आस-पास के शहरों व गांवों-कस्बों से चादर शरीफ़ लेकर जायरीन के जत्थे पहुंच रहे हैं, आज मलूकपुर, बानखाना, गुलाब नगर, ब्रह्मपुरा, नई बस्ती, फरीदपुर, सरदार नगर, कैमुआ, महेशपुर आदि जगहों से चादर शरीफ़ पेश करने के लिए अकीदतमंद आए। उर्स की व्यवस्था संभालने के लिए वोलेंटियर्स का योगदानउर्स के कार्यक्रमों को बेहतर व सुचारू रूप से कराने के लिए 500 वॉलेंटियर्स तैयार किए गए हैं जो उर्स में ज़ायरीन की सुविधा के दृष्टिगत व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए अपना योगदान देंगे। उर्स की इंतिजामियां कमेटी जिनमें मुख्य रूप से शाहिद सकलैनी, जावेद अहमद, हमज़ा सकलैनी, फैसल सकलैनी, आफताब आलम, मुंतासिब सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, हाजी लतीफ़, मेराज हुसैन, सादिक सकलैनी, अबरार अहमद, राशिद सकलैनी, मोहसिन आलम, अरशद सकलैनी, निज़ाम सकलैनी आदि अपनी-अपनी जिम्मेदारियों अदा कर रहें हैं।उर्स एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। इस प्रकार के आयोजनों में स्थानीय लोगों की भागीदारी और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती हैं।