अटेवा की गोष्ठी में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा जोरशोर से उठाया गया
बदायूं। आज पीडब्लूडी परिसर स्थित प्रेरणा सदन में अटेवा की ओर से गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का विषय “यूपीएस एनपीएस से भी अधिक बुरी योजना है” रहा। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि आजादी के समय भारत के शासक वर्ग ने कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को शासन चलाने की नीति के रूप में ग्रहण किया था। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसे विभिन्न आयाम सरकार की जिम्मेदारी थी। इसी के तहत कर्मचारियों की न्यूनतम आवश्यकता के अनुसार वेतन और सेवानिवृत्ति के बाद वृद्धावस्था में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए गैर अंशदायी पेंशन योजना को स्वीकार किया गया था। इस पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों को कोई अंशदान नहीं देना पड़ता और 20 साल की सेवा पूरी करने के बाद अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था। उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवारजनों को इसका 60 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्राप्त होता था। इसके अलावा यह भी प्रावधान था कि कर्मचारी जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड) में अपनी सेवा काल में अंशदान जमा करता था जो सेवानिवृत्ति के वक्त में ब्याज सहित उसे प्राप्त हो जाता था। इसके अलावा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी व राशिकरण का भी भुगतान किया जाता था। केंद्र सरकार ने 24 अगस्त 2024 को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की है। इस पेंशन स्कीम में सुनिश्चित पेंशन के नाम पर कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति वर्ष के 12 महीनों में प्राप्त वेतन के बेसिक पे के 50 प्रतिशत को पेंशन के रूप में देने का प्रावधान किया गया है। शर्त यह है कि कर्मचारी 25 साल की नौकरी पूरा करें तभी उसे यह पेंशन मिलेगी। इस अवधि तक सेवा करने वाले कर्मचारियों के परिवारजनों को उसकी मृत्यु पर पेंशन का 60 प्रतिशत पारिवारिक पेंशन मिलेगी। जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में सेवा अवधि 20 साल थी। सरकार का यह प्रावधान अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों के हितों के पूर्णतया विरुद्ध है। क्योंकि आमतौर पर नौकरी में आयु सीमा की छूट के कारण इस तबके के लोग 40 साल तक की आयु में नौकरी पाते हैं और 60 साल की सेवानिवृत्ति में वह मात्र 20 साल ही पूरा कर पाएंगे। जिसके कारण उन्हें इस पेंशन का पूर्ण लाभ नहीं मिल सकेगा। साथ ही पैरा मिलट्री फोर्स के जवान भी इससे वंचित हो जायेगे जिनका सेवा काल 25 से कम होता है। वक्ताओं ने आगे कहा कि पुरानी पेंशन देने में सरकार का संसाधन ना होने का तर्क भी बेमानी है। देश में संसाधनों की कमी नहीं है यदि यहां कॉरपोरेट और सुपर रिच की सम्पत्ति पर समुचित टैक्स लगाया जाए तो इतने संसाधनों की व्यवस्था हो जाएगी कि कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू की जा सकती है। साथ ही साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अधिकार की भी गारंटी होगी। सभी ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों तक सामाजिक सुरक्षा के लाभ को विस्तारित करने की सरकार से मांग की और कर्मचारी संगठनों से इसके पक्ष में खड़ा होने की अपील की है। वक्ताओं ने पुरानी पेंशन योजना के अधिकार के लिए जो कर्मचारी और कर्मचारी संगठन लड़ रहे हैं उनसे अपनी एकजुटता व्यक्त करने की अपील की और सरकार से यूपीएस जैसी योजनाओं को लाने की जगह पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। गोष्ठी में मिनिस्ट्रीयल फेडरेशन एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष राजीव सिंह राठौर, जिला मंत्री मानव कुमार शर्मा, अटेवा के जिला प्रभारी अनिल कुमार यादव, अटेवा के जिलाध्यक्ष ओमवीर सिंह, मिनिस्ट्रीयल एसोसिएशन लोक निर्माण विभाग के जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार शाक्य, जिला मंत्री हेम सिंह, अटेवा के जिला संरक्षक डाॅ राकेश प्रजापति, अटेवा के जिला महामंत्री लल्लू सिंह प्रजापति, अटेवा के जिला कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र पाल सिंह, अटेवा के संगठन मंत्री निर्भान सिंह यादव , अटेवा के जिला संयुक्त मंत्री नरेश पाल सिंह, संजीव कुमार सक्सेना, गौरव माथुर, प्रमोद कुमार प्रजापति, मुनेश कुमार, नरेश चंद्र, रतीराम, निशांत भारती, विपिन कुमार, गुड्डू, शिवम सक्सेना, लज्जाराम, दिनेश राठौर, हर्षित जौहरी, अनिल कुमार, शक्ति प्रसाद, प्रमोद कुमार आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता अटेवा के जिला प्रभारी अनिल कुमार यादव ने की व संचालन निर्भान सिंह यादव ने किया।