उझानी । नगर के समीपवर्ती गांव बुर्रा शिव मंदिर का वर्षो पुरान इतिहास है । बुर्रा शिव मंदिर का इतिहास करीब दो सौ साल पुराना है। मंदिर में स्थापित शिव लिंग खुदाई के दौरान निकला था । शिवलिंग पर कटने का निशान अब भी साफ दिखाई देता है। तभी से मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगो वह पूरी होती है। इसी विश्वास को लेकर महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर में कांवड़ियो का जमावडा रहता है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में भक्तों को मनचाहा फल मिलता है और मन्नत पूरी होने पर भक्त मंदिर परिसर में नल लगवाते है जिस वजह से मंदिर परिसर मै आज भी हजारों की संख्या में नल लगे हुए हैं। मंदिर के महंत सोनू शर्मा ने बताया करीब दो सौ साल पूर्व खुदाई के दौरान एक व्यक्ति के फावडे से पत्थर जैसे टकराने की आवाज हुई तब मिट्टी हटाकर देखा तो शिवलिंग प्रकट हुआ । फावडा लगने से शिवलिंग में कटने का निशान बन गया और शिवलिंग से खून का रिसाव होने लगा । उसी दौरान ग्रामीणों ने शिवलिंग की स्थापना करने के साथ ही मंदिर का निर्माण कराया तभी से मंदिर आस्था का केंद्र बनता चला गया । अब मंदिर परिसर में शिव परिवार समेत सभी भगवान की प्रतिमाएं स्थापित है। इसके अलावा मंदिर के समीप एक शिवलिंग एवं कुंड स्थापित है जिसकी शिवभक्त परिक्रमा भी लगाते हैं । इस मंदिर के कई द्वार हैं जहां हर सोमवार नवरात्र, सावन व शिवरात्रि पर्व पर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर परिसर में सावन के महीने में विशाल मेला भी लगाया जाता है वहीं महाशिवरात्रि पर्व पर शिवभक्त बड़ी संख्या में मां भागीरथी कछला गंगा घाट से जल भरकर प्रसिद्ध बुर्रा शिव मंदिर पर जलाभिषेक करते हैं।