दुनिया चले न श्रीराम के बिना, रामजी चले न हनुमान के बिनारामकथा में राम हनुमान के मिलन का प्रसंग सुन भावुक हुए श्रोता
शाहजहांपुर। मुमुक्षु आश्रम में हो रही श्री राम कथा में कथा व्यास श्री विजय कौशल जी महाराज ने श्री राम और हनुमान जी के प्रथम मिलन के प्रसंग से कथा को आगे बढ़ाया।हनुमानजी को राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। हनुमान सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं। हनुमान के बगैर न तो राम हैं और न रामायण। कहते हैं कि दुनिया चले न श्रीराम के बिना, रामजी चले न हनुमान के बिना। जब रावण पंचवटी से माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका की ओर ले उड़ा, तब राम और लक्ष्मण जंगलों की खाक छानते हुए माता सीता की खोज कर रहे थे। ऐसे कई मौके आए, जब उनको हताशा और निराशा हाथ लगी। किष्किंधा के दो वानरराज भाइयों बाली और सुग्रीव के बीच युद्ध हुआ और सुग्रीव को भागकर ऋष्यमूक पर्वत की एक गुफा में छिपना पड़ा।
इस क्षेत्र में ही एक अंजनी पर्वत पर हनुमान के पिता का भी राज था, जहां हनुमानजी रहते थे। जब सुग्रीव ने राम और लक्ष्मण को देखा तो वह भयभीत हो गया। इतने बलशाली और तेजस्वीवान मनुष्य उसने कभी नहीं देखे थे। वह भागते हुए हनुमान के पास गया और कहने लगा कि हमारी जान को खतरा है। सुग्रीव के कहने पर हनुमान ब्राह्मण का वेश धारण कर श्री राम के पास पहुंचे। जब उन्होंने प्रभु को पहचान लिया तो वे उनके चरणों में गिर पड़े। प्रभु ने उन्हें उठाकर हृदय से लगा लिया। राम ने हनुमान से कहा- हे कपि! तुम मुझे लक्ष्मण से भी दूने प्रिय हो। सब मुझे समदर्शी कहते हैं, किंतु मुझको सेवक सर्वाधिक प्रिय है, क्योंकि मुझे छोड़ उसका कोई दूसरा सहारा नहीं होता हनुमान जी राम व लक्ष्मण को लेकर सुग्रीव के पास पहुंचे। सुग्रीव ने राम को सादर प्रणाम कर, आदर सत्कार कर अपने भाई बालि की कथा कह सुनाई।
राम ने सुग्रीव और बाली के युद्ध के दौरान एक पेड़ के पीछे छिपकर अपने बाण से बाली का संहार किया और सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना दिया। राजपाट पाकर सुग्रीव भोगविलास में डूब गए। छः माह बीतने पर हनुमान जी उनके पास गए और माता सीता का पता लगाने को कहा। जब समुद्र लांघने की बात आती है तो जाम्बवन्त जी हनुमान को उनके बल का स्मरण कराते हैं। कथा का समापन आरती व प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
कथा के समापन पर मुमुक्षु शिक्षा संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने राम मंदिर के निर्माण पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए कहा कि आज राम की नहीं अपितु रामराज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कल इस मंच के माध्यम से उन कारसेवकों का सम्मान किया जाएगा जिन्होंने श्री राम के लिए संघर्ष करते हुए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। आरती प्रमोद अग्रवाल, रीतेश अग्रवाल, डॉ आलोक कुमार सिंह, अशोक गुप्ता ,कुसुमलता गुप्ता, ईशपाल,आशुतोष मेहंदीरत्ता , मेघना मेहंदीरत्ता,राम मोहन अग्रवाल ,सुषमा अग्रवाल, झरना रस्तोगी, प्रांजल रस्तोगी, अजय अग्रवाल, सुनील सेठ,अशोक अग्रवाल, विनायक अग्रवाल, धर्मेंद्र जी एवं पूर्व विधायक रोशन लाल वर्मा ने की। प्रसाद वितरण में डॉ मेघना मेहंदीरत्ता, विद्या सिंह, डॉ मधुकर श्याम शुक्ला, डॉ विनीत श्रीवास्तव, झरना रस्तोगी, सुनील सेठ एवं डॉ कविता भटनागर का सहयोग रहा। आयोजन में डॉ अवनीश मिश्र, प्रो आर के आजाद, प्रो अनुराग अग्रवाल, डा. जेएस ओझा, सुयश सिन्हा, डा. शिशिर शुक्ल, राम निवास गुप्ता, एस पी डबराल, प्रो प्रभात् शुक्ला, प्रो मीना शर्मा, प्रो आदित्य कुमार सिंह, डॉ आलोक सिंह, डॉ शालीन सिंह, डॉ संदीप अवस्थी, डॉ अंकित अवस्थी, डॉ श्रीकांत मिश्र, चंदन गोस्वामी, चंद्रभान त्रिपाठी आदि का विशेष सहयोग रहा।कथा में महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती, स्वामी पूर्णानंद सरस्वती, साध्वी भक्ति प्रभा, स्वामी अभेदानंद सरस्वती, स्वामी हरिदास, त्रिलोकी नाथ पांडेय, बाबूराम गुप्ता, अशोक अग्रवाल, सत्यभान सिंह भदौरिया, राजीव अग्रवाल, राम मोहन सक्सेना, विनय अग्रवाल आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।