जनपद के शैक्षिक विकास के लिए समर्पित था और रहूॅगा: स्वामी चिन्मयानंदमेरे साथ अगर साजिष न होती तो 2020 में ही जिले को मिल जाता राज्य विष्वविद्यालय

शाहजहांपुर। एसएस लाॅ कालेज में आयोजित पत्रकारवार्ता में बोलते हुए मुमुक्षु षिक्षा संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि मैं जनपद के विकास को समर्पित था और समर्पित रहूॅगा। उन्हांेने कहा कि मैं 1989 में यहां आया था तब से मैंने षिक्षा के क्षेत्र में जनपद की सेवा की। नगरवासियो के हृदय में मेरे बढ़ते सम्मान और ऊंचे होते कद से जलन का अनुभव करने वालों ने मेरे रास्ते को रोकना चाहा और मुझ पर ऐसे आरोप लगाए जो पूरी तरह से आधारहीन थे। मुझे आरोपित करने के लिए मेरी ही संस्थाओं के बच्चों को बरगला कर उनका प्रयोग किया गया किन्तु भारतीय न्यायिक व्यवस्था ने अपनी निष्पक्ष प्रणाली द्वारा मुझे निर्दोष पाया और सभी प्रकार के आरोपों से ससम्मान बरी कर दिया है। मैं अब और अधिक प्रयासों के साथ जनपद के विकास के लिए सक्रिय रहूंगा। षिक्षा के क्षेत्र में जनपद को गुणवत्ता युक्त उच्च कोटि की तथा रोजगार परक षिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए विष्वविद्यालय की स्थापना आवष्यक है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए मेरा प्रयास रहेगा कि जनपद में स्वामी शुकदेवानन्द राज्य विष्वविद्यालय की स्थापना हो। मैं जनपद के ठा. रोषन सिंह के नाम पर स्थापित महाविद्यालय तथा सरदार भगत सिंह के नाम पर स्थापित महाविद्यालय को भी उच्च कोटि की शैक्षिक संस्थाओं में परिवर्तित करने का संकल्प ले चुका हूॅ। इस संदर्भ में नगरवासियों का सहयोग अपेक्षित है।

स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि जब-जब मैंने जनपद के विकास में योगदान देने हेतु कोई अच्छा कदम उठाया तब-तब मेरे खिलाफ साजिष रची गई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में जब युवा महोत्सव के अन्तर्गत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में आये थे तब उन्होंने स्वामी शुकदेवानन्द महाविद्यालय को विष्वविद्यालय में बदलने की चर्चा की थी किन्तु कुछ लोगों को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने अपनी गंदी मानसिकता का परिचय देते हुए मेरे खिलाफ साजिष रची। इस साजिष के कारण जनपद को एक विष्वविद्यालय जो 2020 तक मिल सकता था मिलने से रह गया। साजिषकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से मेरा नुकसान कम किया किन्तु मेरे काम में बाधा डालकर जनपद का नुकसान अधिक किया। आज सच सामने आ चुका है मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए गए थे वह सब उन लोगों के द्वारा लगाए गए थे जो मेरी प्रगति से घबराते थे और मुझे नीचा दिखाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि रामजन्म भूमि आंदोलन के संयोजक के रूप में मैंने जो काम किया, आज उसको ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा मुझे अतिविषिष्ट अतिथि के रूप में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्या आमंत्रित किया गया था किन्तु मैं वहां नहीं गया और मैंने यहीं पूजन किया। मेरे न जाने का कारण यही था कि मैं नहीं चाहता था कि योगी जी के साथ मेरे नाम की चर्चा जोड़ी जाए और उनकी छवि खराब करने की कोषिष की जाए। अब माननीय न्यायालय द्वारा मुझे पूरी तरह से निर्दोष घोषित किया गया है। अतः अब मेरे मन में इस प्रकार का संकोच नहीं है। मैं शीघ्र ही रामलला के दर्षनों को भी जाऊंगा। प्रेसवार्ता में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मेरे मन मे किसी के प्रति कोई बुरा भाव नहीं है और न ही मैं कोई राजनैतिक पद का आकांक्षी हूॅ। मेरी बस एक ही इच्छा है वह यह कि एक सन्यासी की भांति मैं समाज के लिए काम करता रहूॅगा।