मनुष्य को सर्व प्रकार से समर्थ बनाने हेतु समस्त भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ है सँस्कृत- राधेश्याम अवस्थी
बदायूं ।संस्कृत भारती व्रजप्रान्त के पदाधिकारियों द्वारा आगरा में बदायूं की मुख्य कार्यसमिति गठित की गई। जिसके क्रम में आज कार्यसमिति का विस्तार एवं शपथ ग्रहण का एक कार्यक्रम राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित संस्कृत के परम विद्वान् स्व. विशुद्धानन्द मिश्र जी के आवास पर संस्कृत के परम् विद्वान धर्मवीर आर्य एवं राधेश्याम अवस्थी द्वारा संयुक्त रुप से ज्ञान की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया गया।
तत्पश्चात प्रतिभाशाली बालिकाओं कामाक्षी शर्मा एवं इला गुप्ता द्वारा अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत एवं समाज को संस्कृत भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता हेतु जागरूक करता एक सुंदर गीत प्रस्तुत किया गया।
समस्त पदाधिकारीयों ने संस्कृत भारती व संस्कृत के प्रति अपने पद का पूर्ण निष्ठा से दायित्व निर्वहन करने की संस्कृत में शपथ ग्रहण की जिसमे आचार्य डॉ राधेश्याम अवस्थी को नगर संरक्षक, सर्वेश शास्त्री को विभाग संयोजक, डॉ0 प्रतिभा मिश्रा को नगर अध्यक्ष, अजय मिश्रा को कोषाध्यक्ष, आयुष भारद्वाज को मीडिया प्रभारी, राम प्रकाश शास्त्री को साहित्य प्रमुख, संतोष शब्देन्दु को नगर शिक्षण प्रमुख, पं. मनु मिश्र को नगर मंत्री, पं.मोहित मिश्र एवं इन्द्राणी पाठक को सदस्य पद की शपथ दिलाई गई।
कार्यक्रम संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान एवं सँस्कृत भारती के नगर संरक्षक डॉ. राधेश्याम अवस्थी “रसेन्दु” के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा क्षेत्रवाद एवं जातिवाद को समाप्त कर जीवन के सभी को समान रुप से प्रत्येक क्षेत्र में समर्थ बनाने वाली भाषा है। नगर अध्यक्षा डा. प्रतिभा मिश्रा ने समस्त पदाधिकारीगणों एवं आगन्तुको से संस्कृत प्रेमियों का सम्मान तथा संस्कृत भाषा को घर-घर पहुंचाने के संकल्प दिलाया। मीडिया प्रभारी आयुष भारद्वाज ने बताया कि जनपद कार्यकारिणी गठन के पश्चात तहसील स्तर पर एवं फिर ब्लॉक स्तर पर संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु संस्कृत भारती की कार्यकारिणी का विस्तार किया जाएगा।
इस दौरान वरिष्ठ सँस्कृत सेवी धर्मवीर आर्य, भाजपा नेत्री एवं समाजसेवी रजनी मिश्रा, सीमा शर्मा, कृष्णगोपाल मिश्र, शिवम दुबे, राम प्रकाश वर्णी, सुमित मिश्र शम्भू, स्वयंप्रकाश गुप्ता, ईला गुप्ता, कामाक्षी शर्मा आदि भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आचार्य सन्तोष कुमार ‘शब्देन्दु’ ने देवभाषा संस्कृत में किया ll