लैंगिक समानता को व्यवहार में अपनाना आवश्यक
शाहजहांपुर। एस एस कॉलेज के वाणिज्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय महिला समानता दिवस के अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय था “समानता अपनाओ”I गोष्ठी में शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं के साथ व्यवसाय एवं पेशेवर वर्ग से भी वक्ताओं को आमंत्रित किया गया थाI व्यवसायी नर्वदेश्वर कुमार वैश्य ने कहा कि महिलाओं को समान अधिकार दिए बिना देश की अर्थव्यवस्था का तीव्र विकास नहीं हो सकता हैI उन्होंने कहा कि महिला उद्यमी पुरुषों की अपेक्षा अपने कार्य के प्रति अधिक समर्पित होती है I
जीवन बीमा कार्य से जुड़े उमेंद्र पाल ने कहा कि विकसित देशों की भांति भारत में भी महिलाओं को अपनी इच्छा अनुसार रोजगार या पेशा चुनने और अपना भविष्य स्वयं निर्धारित करने की स्वतंत्रता होनी चाहिएI डॉ कमलेश गौतम ने कहा कि महिला समानता देश के आर्थिक सामाजिक विकास का मजबूत आधार तैयार करती है। डॉ सचिन खन्ना ने कहा कि आधुनिक दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। अतः परम्परागत समाज को लेंगिग समानता पर ध्यान देना जरूरी है। डॉ कविता भटनागर ने कहा कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए बिना कोई समाज विकसित नहीं हो सकता।
महिला समानता के लिए कानून बनाने से ज्यादा समाज को जागरूक करना आवश्यक है| डॉ विनीता राठौर ने कहा कि बालिका के जन्म के समय से ही उसे लैंगिक समानता का अनुभव होना चाहिए जबकि हमारे देश में परवरिश के समय बेटा और बेटी में भेदभाव किया जाता है| शोध छात्रा बृजलाली ने कहा कि शैक्षिक पाठ्यक्रमों में लैंगिक समानता के विषय को शामिल किया जाना चाहिए ताकि युवा वर्ग इस विषय पर एक विकसित दृष्टिकोण अपना सके सके| बीकॉम की छात्रा पायल गुप्ता ने कहा कि हमारे देश में अनेक धर्मो के लोग निवास करते हैं । लगभग सभी मे धर्म के नाम पर महिलाओं को एक निश्चित दायरे में जीना होता है।
आज यह आवश्यक है कि सभी धर्मों के लोग रूढ़ियों को छोड़कर बेटियों को प्रगति के लिए खुले आकाश में उड़ने का अवसर दें| डॉ रूपक श्रीवास्तव के संचालन में हुई गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो अनुराग अग्रवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी को पूज्य माना गया है ।हमारे ग्रंथो में कहा गया है कि जिस घर में नारी का सम्मान होता है उसी घर में देवताओं का वास होता है ।भारत में नारी शक्ति रूप में सदैव प्रतिष्ठित रही है। किंतु समय के साथ उत्पन्न अनेक सामाजिक मानसिक विकृतियों ने वातावरण खराब किया है| अतः केवल बोलना और कार्यक्रम करना पर्याप्त नहीं है अपितु लैंगिक समानता को व्यवहार में अपनाना आवश्यक है। कार्यक्रम के अंत में अखंड प्रताप सिंह ने आभार व्यक्त किया । गोष्ठी में डा गौरव सक्सेना, डा विजय तिवारी, डॉ संतोष प्रताप सिंह, डॉ अजय कुमार वर्मा, यशपाल कश्यप, देव सिंह कुशवाहा तथा अनेक छात्र -छात्राएं उपस्थित रहे।