इंतजार में गुजरे 63 साल, नहीं हो सकी चकबंदी
गोरखपुर। जंगल कौड़िया में बच्चे इंतजार करते-करते बुजुर्ग हो गए, बुजुर्ग चल बसे पर चकबंदी नहीं हुई। कैंपियरगंज तहसील के थवईपार और रगरगंज ऐसे ही गांव हैं, जहां 63 साल बाद भी चकबंदी नहीं हो सकी है। चकबंदी के लिए मार्च 2023 में एक बार खुली बैठक हो चुकी है, जिसमें 105 लोगों ने चकबंदी कराने के लिए सहमति दी थी, किसी ने विरोध भी नहीं किया। बावजूद इसके, प्रकिया पूरी नहीं हो सकी। शनिवार को एक बार फिर खुली बैठक हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस दौरान ग्रामीणों ने प्रदर्शन करके चकबंदी कराने की मांग की। दरअसल, इन दोनों गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया सरकारी स्तर पर हुई ही नहीं। परिवारों में खेत और मकान तो बंट गए, लेकिन सड़कें नहीं बनीं। अब इसे लेकर गांव में विवाद होने लगे। मार्च 2023 में गांव के लोगों ने डीएम से शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद प्रशासन की ओर से उसी महीने बैठक आयोजित कराई गई। 105 लोगों ने चकबंदी कराने के लिए सहमति दी। किसी ने आपत्ति भी दर्ज नहीं कराई। आपत्ति न होने पर अफसरों को फर्जीवाड़े का शक गहराया। इसके बाद प्रकिया ठहर गई। अब डीएम के निर्देश पर एक बार फिर प्रकिया शुरू हुई है। शनिवार को तहसीलदार केशव प्रसाद और सहायक चकबंदी अधिकारी सुजीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में लेखपाल समेत कई अधिकारियों ने प्रक्रिया शुरू कराने के लिए शनिवार को गांव में खुली बैठक की। चकबंदी लेखपाल तामा प्रसाद ने बताया कि चकबंदी कराने के लिए दोनों गावों से 109 ग्रामीणों ने सहमति दी है, किसी ग्रामीण ने विरोध नहीं किया। बैठक में रामसमुझ सिंह, संतोष कुमार, रामनवमी सिंह, केदार यादव, राम सिंह, कैलाश सिंह, रामेश्वर सिंह, विश्वनाथ गुप्ता, दीनबंधु सिंह, रामावतार विश्वकर्मा, अजय प्रताप सिंह, कुशहर सिंह आदि मौजूद रहे। बताया जाता है कि दोनों गांवों के अधिकांश लोगों के जीवन की आधी पारी समाप्त हो गई। तब के नई उम्र के खातेदार अब बुजुर्ग हो गए। उस समय के बुजुर्ग खतौनी धारक दुनिया से चल बसे। उनके वारिस जोत के मालिक बन गए, लेकिन गांव में चकबंदी प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी। परिवार में बंटवारे के बाद कई टुकड़ों में बंटे खेतों को एक खंड में देख गांव में सड़क बनने की बुजुर्गों की इच्छा उनके जीवन का सपना बन कर रह गया है। 75 वर्षीय बुजुर्ग रामसमुझ सिंह ने बताया कि चकबंदी के लिए 1959 में अधिसूचना जारी हुई, जो 1961 में संपन्न हुई। 1962 में धारा 45 पूर्ण हुआ, लेकिन उसके बाद आज तक चकबंदी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। परेशानी को देखते हुए ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई थी। खुली बैठक में मौजूद सभी ग्रामीण चकबंदी के पक्ष में हैं। कागजी कार्रवाई कर उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। शीघ्र चकबंदी कराई जाएगी।–केशव प्रसाद, तहसीलदार कैंपियरगंज पिछली और इस बार की बैठक में सभी ने चकबंदी कराने के पक्ष में लिखित सहमति दी है। बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी को मामले से अवगत कराकर चकबंदी की प्रक्रिया शीघ्र शुरू कराई जाएगी। – सुजीत कुमार श्रीवास्तव, सहायक चकबंदी अधिकारी, कैंपियरगंज