नए नियमों ने बढ़ाई मुश्किल, जा सकती है 20 संविदा शिक्षकों की नौकरी
मुरादाबाद। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में संविदा शिक्षकों के लिए शासन की ओर से जारी हुए नए नियमों ने पेंच फंसा दिया है। इन नियमों के कारण करीब 20 शिक्षकों की संविदा पर तलवार लटक गई है। इनमें से छह पुरुष शिक्षकों की संविदा तो लगभग समाप्त होनी तय है।
पिछले 10 से 15 सालों से संविदा पर कस्तूरबा विद्यालयों में नौकरी कर रहे शिक्षकों में अचानक से आए नए नियमों से खलबली मचा दी है। अब कई शिक्षक कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। जिले के कस्तूरबा बांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 75 संविदा शिक्षकों की तैनाती है। इसमें से कई शिक्षक तो ऐसे हैं, जो पिछले दस से 15 सालों से इन विद्यालयों में संविदा पर नौकरी कर रहे हैं। लेकिन, शासन ने संविदा की शर्तों में परिवर्तन कर दिया है, जिससे कई शिक्षकों की संविदा समाप्त होने की कगार पर आ गई है। जिला समन्वयक रजत भटनागर का कहना है कि नए नियमों के लिए विद्यालयों में नियमित विषयों पर केवल महिला शिक्षक ही तैनात हो सकती है। लेकिन, पहले महिला शिक्षकों के अभाव में पुरुष शिक्षकों की तैनाती की गई थी, इस नए नियम के आने से छह पुरुष शिक्षकों की संविदा समाप्त हो गई है। वहीं शासन ने कई विषयों को पढ़ाने के लिए स्नातक में चुनिंदा विषयों का होना भी अनिवार्य कर दिया है, इस नियम से भी कई महिला शिक्षकों की संविदा पर तलवार लटक गई है।
गठित की गई कमेटी, मांगा प्रत्यावेदन
75 में से करीब 20 शिक्षकों की संविदा समाप्त होने के बाद सीडीओ की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी गठित की गई है। इसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी, डायट प्राचार्य, डीआइओएस के अलावा जिलाधिकारी के द्वारा नामित अधिकारी शामिल है। इस कमेटी ने ऐसी महिला शिक्षकों के प्रत्यावेदन दोबारा मांगे हैं, जिनकी संविदा स्नातक में विषय न होने के कारण समाप्त हो रही है। जानकारों का कहना है कि प्रत्यावेदन स्वीकार होने से कुछ शिक्षकों को राहत मिल सकती है।
शासन ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के लिए नियमों में बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत जो शिक्षक पात्र नहीं हैं, उनकी संविदा समाप्त हो रही है। पुन: विचार के लिए कमेटी गठित कर प्रत्यावेदन मांगे गए हैं।
– योगेंद्र कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी




















































































