गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की टीम ने एक शोध में खुलासा किया कि महिलाओं में हेपेटाइटिस-बी और सी से संक्रमित होने का प्रमुख कारण शरीर पर टैटू गुदवाना है। कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग ने 5605 गर्भवती महिलाओं की खून की जांच कराई। इनमें से 65 को हेपेटाइटिस-बी की पुष्टि हुई। इनमें से 62 यानी 95.38 फीसदी गर्भवती महिलाओं ने टैटू (गोदना) गुदवा रखा था। यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल के साथ ही आईसोपार्ब के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। युवाओं में टैटू गुदवाने का शौक बढ़ता जा रहा है। हाथ, पैर सहित शरीर के किसी भी हिस्से में युवतियां इसे मेंहदी की तरह बनवा रही हैं। जबकि वह इस बात से अंजान हैं कि टैटू उन्हें जानलेवा बीमारी भी दे सकता है। मेडिकल कॉलेज में महिलाओं पर हुए शोध में यह खुलासा हुआ है। रिसर्च के दौरान इन हेपेटाइटिस संक्रमितों और 230 सामान्य गर्भवतियों के जीवनचर्या की तुलना भी की गई। इसमें पता चला कि ग्रामीण क्षेत्र के साथ शहरी क्षेत्र की युवतियां भी अब टैटू गुदवाना पसंद करने लगी हैं। हेपेटाइटिस संक्रमितों में 52 फीसदी की उम्र 25 वर्ष से कम रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह गंभीर बीमारी टैटू बनाने वालों की लापरवाही से हुई। ये लोग एक ही सुई से कई लोगों को टैटू बना देते हैं। इसकी वजह से संक्रमण फैलता जाता है। मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वाणी आदित्य ने बताया कि हेपेटाइटिस जानलेवा बीमारी है। इसका सटीक इलाज नहीं है। 30 फीसदी मामलों में यह क्रॉनिक हो जाता है। इस कारण लिवर पूरी तरह से खराब हो सकता है। संक्रमित मां से बच्चे को भी संक्रमण हो सकता है। यह खतरा 60 फीसदी तक है। यही कारण है कि प्रसव पूर्व इसकी जांच कराई जाती है। शोध में पता चला कि गर्भवतियों को इस बीमारी की जानकारी प्रसव के दौरान होने वाली जांच के बाद हुई। चिंता की बात यह रही कि जिन लोगों को यह बीमारी हुई है, उनमें 90 फीसदी महिलाएं पढ़ी लिखी थीं। उन्होंने बताया कि शहर में खुले पॉर्लर से टैटू बनवाए थे। मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि ज्यादातर युवा बिना सोचे समझे टैटू गुदवा लेते हैं।जबकि यह शौक उन्हें गंभीर बीमारी दे रहा है। खिलाड़ियों सहित अन्य सेलेब्रिटी को देखकर युवा टैटू बनवा रहे हैं। उन्हें इस बात की समझ नहीं है कि जो सेलेब्रिटी या खिलाड़ी टैटू गुदवाते हैं, वह विशेषज्ञों के पास जाते हैं। इसके लिए काफी रुपये खर्च करते हैं। जबकि कम पैसों में टैटू बनाने वाले सैनिटाइजेशन पर ध्यान नहीं देते हैं