बदायूं। जनपद की साहित्यिक विरासत को नयी पहचान दिलाकर सहेजने का कार्य करेगी राजकीय महिला महाविद्यालय बदायूं की प्रोफेसर डॉ वंदना व असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी डॉ शुभ्रा माहेश्वरी ।
उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन उच्च विश्वविद्यालयों राजकीय एवं अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजनान्तर्गत शोधकार्यों हेतु अनुदान की स्वीकृति प्राप्त करने वाले बदायूं के शिक्षक बने शान। बताते चलें कि बदायूं के राजकीय महिला महाविद्यालय बदायूं की प्रोफेसर डॉ वंदना शोधकर्ता प्रमुख व डॉ शुभ्रा माहेश्वरी असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी सहप्रमुख शोधकर्ता के रूप में बदायूं को अनोखी पहचान दिलायेंगी। बदायूं के लिए यह गौरव की बात है कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदत्त प्रोजेक्ट पहली बार किसी को मिला है । इस रिसर्च प्रोजेक्ट का शीर्षक है -"आजादी के 75 वर्षों में बदायूं जनपद के साहित्यकारों की साहित्यिक विरासत" डॉ वंदना ने बताया -"इसके द्वारा हम अपने शहर के साहित्यकारों से उनके परिवार व उनके अप्रतिम साहित्य से पूरण रुप से परिचित होंगे। बदायूं के 10 प्रसिद्ध साहित्यकारों को नयी पहचान दिलाकर सहेजने का कार्य किया जायेगा। जिनमें नाम रहेंगे शकील बदायूंनी,फानी बदायूंनी, पं. भूप राम शर्मा 'भूप', डॉ. ब्रजेन्द्र अवस्थी, डॉ. उर्मिलेश शंखधर, डॉ. महाश्वेता चतुर्वेदी,डॉ. ममता नौगरैया, डॉ. मोहदत्त साथी, डॉ. राम बहादुर 'व्यथित', डॉ. गीतांजलि सक्सेना आदि की साहित्यिक विरासत देशवासियों , हिन्दी प्रेमियों व देश की युवा पीढ़ी को साहित्यिक पृष्ठभूमि से परिचय करवाने व उनके परिवार को नयी पहचान दिलाकर शिक्षा में स्थान दिलाने तक का सफर करेंगी डॉ वंदना मिश्रा व डॉ शुभ्रा माहेश्वरी। डॉ शुभ्रा माहेश्वरी ने बताया कि बदायूं शहर के लिए भी इस प्रकार नयी पहचान मिलेगी एवं जिन्हें हमारी भावी पीढ़ी नहीं जानती , पहचान खो गयी है उन साहित्यकारों को पहचान दिलायेगा ये प्रोजेक्ट। राजकीय महिला महाविद्यालय बदायूं की प्राचार्या डॉ स्मिता जैन ने शोधकर्ता प्रमुख डॉ वंदना को बधाई देते हुए उन्हें शुभकामनाएं प्रदान कीं व कहा यह हमारे महाविद्यालय को गर्व की बात है।