बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव वनबेहटा में शिव मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आज चौथे दिन कथावाचक सीमा साध्वी ने शंकर विवाह का प्रसंग सुनाया। जिसे सुनकर यहां भक्त भावविभोर हो उठे। यहां शिव-पार्वती का विवाह भव्य तरीके से संपन्न हुआ। माता पार्वती के परिवार की तरफ से अनेक राजा- महाराजा और रिश्तेदार विवाह में शामिल थे। शिवजी अजन्मे है और उनका कोई परिवार नहीं बल्कि वह स्वंय सभी के परिवार कहे जाते है। शिव बारात में ब्रह्माजी, विष्णुजी समेत सभी देवी-देवता, सुर-असुर अपने सारे झगड़े भुलाकर पहुंचे। शिव पशुपति हैं, मतलब सभी प्राणियों के देवता भी हैं, इसलिए समस्त जीव जंतुओं के अलावा भूत-पिशाच और विक्षिप्त लोग भी विवाह में शिवजी की तरफ से पहुंचे। रुद्रप्रयाग में स्थित ‘त्रियुगी नारायण’ एक पवित्र जगह है, माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया, तब यह हिमवत की राजधानी था। विवाह मंडप की अग्नि आज भी वहां प्रज्ज्वलित है। मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए त्रियुगी नारायण मंदिर से आगे गौरी कुंड कहे जाने वाले स्थान माता पार्वती ने तपस्या की थी और बाद में भगवान शंकर ने इसी मंदिर में माता पार्वती से विवाह किया। इस मौके पर लायक सिंह चौहान, रनवीर सिंह चौहान, विजेंद्र सिंह, युवराज सिंह, अरुण सिंह, बाबू सिंह, राजेश सिंह, लल्ला ठाकुर, कलेक्टर सिंह, लल्लू सिंह, सोनू ठाकुर, हप्पू सिंह, अजय पाल सोलंकी, महावीर सिंह आदि मौजूद रहे।