स्वयंसेविकाओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि शहीद दिवस के रूप में मनाया
बदायूँ: गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम इकाई के तत्वावधान में कार्यक्रम अधिकारी असि० प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती के निर्देशन में स्वयंसेविकाओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया। दो मिनट का मौन धारण कर बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या डॉ०गार्गी बुलबुल के मुख्य आतिथ्य में महात्मा गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।स्वयंसेविकाओं को संबोधित करते हुए प्राचार्या जी ने बताया कि महात्मा गांधी जी के विचार वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रासंगिक है उन्होंने स्त्रियों की शिक्षा एवं स्वावलंबन पर जोर दिया कहा था महात्मा गांधी स्त्रियों के सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत चिंतित थे। महिलाओं के जीवन को प्रभावित करने वाली सामाजिक कुरीतियों के बारे में उनके मन में काफी कड़वाहट थी। वे मानते थे कि बाल-विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा और विधवा-विवाह-निषेध जैसी कुरीतियों के कारण ही महिलाएं उन्नति नहीं कर पातीं और शोषण, अन्याय तथा अत्याचार झेलने को विवश होती हैं। कार्यक्रम अधिकारी असिस्टेंट प्रोफेसर सरला चक्रवर्ती ने विस्तार पूर्वक गांधी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकास डालते हुए कहा कि 30 जनवरी भारतीय इतिहास का काफी दुखद दिन है। 1948 में इसी दिन नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनकी पुण्यतिथि को हर साल शहीद दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। महिलाओं के प्रति गांधीजी के सकारात्मक दृष्टिकोण थे। वे महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक सुदृढ़ और सहृदय मानते थे। वे नारी को अबला कहने के भी सख्त खिलाफ थे। सामाजिक कुरीतियों के निवारण एवं सामाजिक स्वावलंबन हेतु गांधी ने हृदय परिवर्तन पर बल दिया और सामाजिक परिवर्तन को साधन माना। डॉ०शुभ्रा माहेश्वरी ने बताया कि गांधीजी सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों में बराबरी के समर्थक थे। डॉ०सोनी मौर्य ने कहा कि गांधी जी नाम नहीं बल्कि विचार थे।गांधीजी यों तो समूची मानवजाति का सम्मान करते थे, परंतु महिलाओं के लिए उनके हृदय में अत्यंत गहरी सहानुभूति और आदर का भाव मौजूद था। समूचे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने अनेक महिलाओं को न केवल स्वतंत्रता संघर्ष में कूदने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें नेतृत्व करने का भी अवसर दिया। स्वाधीनता संघर्ष के इतिहास में सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपालानी, सुशीला नैयर, विजय लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, इंदिरा गांधी तथा कई अन्य महिला नेताओं ने कांग्रेस को सशक्त बनाने में योगदान दिया। इस अवसर पर कु०मेघा पटेल, नैनशी पटेल, शिवानी, शिवांगी, रितु, अंजली, इलमा, सहारिका पटेल आदि ने अपने अपने विचार रखे। ततपश्चात स्वयंसेविकाओं ने श्रमदान कर पौधरोपण किया। स्वयंसेविका मेघा ने बापू के प्रिय भजन रघुपित राघव राजा राम का गायन किया। सभी की सक्रिय सहभागिता रही। अन्त में सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम अधिकारी ने कार्यक्रम राष्ट्र गान के साथ कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।