पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू हुई माह पर्यंत माघी डुबकी के विधान, गंगा घाटों पर पहुंचे श्रद्धालु

वाराणसी। पौष पूर्णिमा पर गुरुवार को पुण्य की डुबकी के साथ माघ पर्यंत स्नान-दान, जप, व्रत, यम, नियम, संयमादि का आरंभ हो गया। ये विधान माघ पूर्णिमा यानी 27 फरवरी तक चलेंगे। इस विशेष स्नान अनुष्ठान के निमित्त भोर से ही श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंचे। स्नान-दान के साथ ही यहां से ही प्रयागराज  समेत तीर्थों का ध्यान किया कड़ाके की ठ़ड के कारण स्नानार्थियों की संख्या भले कम रही हो लेकिन दशाश्वमेध, पंचगंगा, अस्सी समेत घाटों पर दृश्य विभोर करने वाला रहा।

शास्त्रों में तीन माह पर्यंत नित्य स्नान दान का विधान है। इसमें माघ, कार्तिक और वैशाख शामिल हैं। अन्य दोनो स्नान की तरह माघ स्नान को भी आयुर्वेदिक दृष्टि से ऋतु अनुसार शारीरिक अनुकूलन का अनुष्ठान माना जाता है। इन तीनों माह में सूर्योदय के समय गंगा, प्रयागराज संगम समेत नदी-तीर्थ में स्नान की मान्यता है। इसमें भी स्नान से पूर्व हरि-हर का ध्यान, स्नान के दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य और बाद में श्रीहरि का पूजन-अर्चन करना चाहिए।

इस बार तीन ही स्नान

माघ मास के बारे में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है -“माघ मकर गत रवि जब होई, तीरथ पतिहि आव सब कोई”। कहने का आशय यह कि माघ में जब भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश  करते हैं तब साधु-संतादि, धर्मानुरागी और देवगण तक पुण्य कामना से प्रयागराज तीर्थ आते हैं और संगम में डुबकी लगाते हैं। हालांकि इस बार अआश्विन अधिमास के कारण रवि पौष में ही मकर गति हो चुके हैं। ऐसे में माघ में तीन ही प्रमुख स्नान मिलेंगे।

माघ अमावस्या यानी मौनी अमावस्या – 11 फरवरी

वसंत पंचमी – 16 फरवरी

माघ पूर्णिमा -27 फरवरी

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