Behmai Case के वादी राजाराम का निधन, दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने की थी 20 लोगों की सामूहिक हत्या
कानपुर। कानपुर देहात के चर्चित बेहमई कांड के वादी राजाराम फैसला आने का इंतजार करते करते दुनिया को अलविदा कह गए। लंबी बीमारी के बाद रविवार को घर पर उनका निधन हो गया।
बेहमई गांव में हुए नरसंहार की घटना का मुकदमा बीते 39 वर्ष से अदालत में विचाराधीन है और बीते जनवरी में अंतिम समय में फैसला टल गया था। इसके बाद से बीमार वादी राजाराम फैसले का इंतजार कर रहे थे।
कानपुर देहात के राजपुर थानान्तर्गत बेहमई गांव में 14 फरवरी वर्ष 1981 को गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी गिरोह ने 20 लोगों की गोली मारकर सामूहिक हत्या कर दी थी। घटना देश-दुनिया में चर्चित हुई थी। गांव के राजाराम ने फूलन देवी समेत 36 डकैतों पर मुकदमा दर्ज कराया था। 39 साल से वह मुकदमे की पैरवी कर रहे थे और हर तारीख पर कोर्ट आते थे। बीते 4 जनवरी को मूल केस डायरी न मिलने के बाद फैसला टल जाने से वह आहत हो गए थे। 85 वर्षीय राजाराम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे। बेटे रामकेश सिंह ने बताया कि पिता लिवर की बीमारी से ग्रसित थे और रविवार को घर पर उनकी मौत हो गई।
राज्य सरकार लड़ेगी मुकदमा
वादी राजाराम की मौत के बाद मुकदमे की पैरवी राज्य सरकार की ओर से वकील करेंगे। मुकदमे की सुनवाई पर कोई असर नहीं आएगा। डीजीसी राजू पोरवाल ने बताया कि वादी की मौत से मुकदमा प्रभावित नहीं होगा, गवाही पूरी ही हो चुकी हैं।
अब तक क्या कुछ हुआ
कोर्ट में विचाराधीन मुकदमे में शुरुआत में 43 गवाह थे, जिसमें अबतक 28 की मौत हो चुकी है। अबतक 15 की गवाही हुई है। 2019 दिसंबर के आखिरी सप्ताह में कोर्ट से 2020 की छह जनवरी को फैसले की तारीख तय की गई थी। इस दिन कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मूलकेस डायरी तलब की, जो उपलब्ध न होने पर 18 जनवरी की तारीख नियत की गई थी। इस दिन भी मूलकेस डायरी न मिलने पर डीएम-एसपी को पत्र देकर 30 जनवरी का समय दिया गया। इस दिन तत्तकालीन एसपी की ओर से और समय मांगा गया तो 12 फरवरी की तारीख दी गई थी। इस दिन भी डायरी उपलब्ध न होने पर 26 फरवरी तक बढ़ा दिया गया था।
घटना की प्रमुख बातें
बेहमई गांव निवासी राजाराम सिंह ने मुकदमे में कुठौंद, जालौन निवासी रामऔतार, गुलौली, कालपी, जालौन निवासी मुस्तकीम, गुढ़ा का पुरवा, कालपी, जालौन निवासी फूलन देवी, बिरही, कालपी, जालौन निवासी लल्लू बघेल को नामजद समेत 30-35 डकैतों पर मुकदमा दर्ज कराया था। मौजूदा समय में कुल चार आरोपित बचे हैं। जिनमें 75 साल का पोसा जेल में 1981 से अभी तक बंद है, उसका गांव पाता थाना चुरखी जिला जालौन है।दूसरा आरोपित 65 साल का भीखा जमानत पर है, उसका गांव पाता, थाना चुरखी जिला जालौन है। तीसरा आरोपित 54 वर्षीय विश्वनाथ जमानत पर है, वह घटना के समय 15 साल का था और गांव महेशपुर थाना सिकंदरा कानपुर देहात का रहने वाला है। 70 वर्षीय श्यामबाबू भी जमानत पर है और गांव साडा पन्ना जिला औरैया का रहने वाला है। पांचवें आरोपित रामसिंह की मौत जेल में फरवरी 2019 में हो गई थी, वह गांव रमपुरा जिला जालौन का रहने वाला था।