बरेली में 75 वर्षों से समाज की सेवा में क्रियाशील है एक गुरुकुल
श्री टीबरीनाथ सांगवेद संस्कृत महाविद्यालय के छात्र अब देश के प्रमुख मंदिरों में है पुजारी
बरेली। बरेली में श्री टीबरीनाथ सांगवेद संस्कृत महाविद्यालय नगर के मध्य 600 वर्ष प्राचीन त्रिवटीनाथ मंदिर के पावन प्रांगण में पश्चिम की ओर स्थापित है। वर्ष 1983 में छः छात्रों से एक झौपड़ी में प्रारंभ इस गुरूकुल में आज दो विशाल भवनों में 200 छात्रों की सुव्यवस्था आजकल संचालित है। यहां के छात्र रहे योगेन्द्र भारद्वाज जे. एन. यू. नई दिल्ली में अपनी धर्म पर आधारित पी.एच-डी अगस्त 2021 में दाखिल की है। यहीं के छात्र ललित पाण्डेय सनातन धर्म मंदिर मानसरोवर गार्डन, नई दिल्ली एवं उमेश्वर दुबे अक्षर धाम मंदिर के पुजारी हैं।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से सम्बद्ध इस श्री टीबरीनाथ सांगवेद संस्कृत महाविद्यालय गुरूकुल में पाठ्यक्रम के साथ-स्वावलम्बन की दृष्टि से वेद, कर्मकांड, संगीत एव कंप्यूटर-शिक्षा भी निशुल्क प्रदान की जा रही है। शास्त्री कक्षा संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से संबद्घ है।
आज इस गुरूकुल के प्रति लोगों का तेजी से रूझान बढ़ा है अत्यधिक छात्रसंख्या को देखते हुए प्रवेश-परीक्षा के माध्यम द्वारा छात्रों का चयन किया जा रहा है। बरेली, आस पास के समस्त जिलों उत्तराखण्ड के छात्र यहां धार्मिक शिक्षा का अध्ययन कर रहे हैं। सेना में धर्मगुरू, राजकीय सेवाओं में नियुक्ति, कथावाचन में ख्याति, स्वतंत्र पांडित्य कार्य, देवस्थलों में अर्चक के अलावा उच्च अध्ययन हेतु लखनऊ कैम्पस बी. एच. यू वाराणसी, हरिद्वार लाल बहादुर केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ दिल्ली, जे.एन यू दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं। वर्तमान में चार छात्र जे.आर.एफ ; छात्रवृत्ति प्राप्त कर शोध कार्य में संलग्न है।
इस गुरुकुल के संचालक/ प्रबंधक बंशीधर पांडे के अनुसार बरेली में विगत 38 वर्षों से संचालित श्री टीबरीनाथ सांगवेद संस्कृत महाविद्यालय गुरूकुल को अद्यतन किसी भी प्रकार का केन्द्र सरकार या राज्य सरकार से अनुदान/ सहायता प्राप्त नहीं होती है। गुरूकुलों की शून्यप्राय स्थिति से चिंतित कतिपय प्रबुधजनों, जिनमें रामकुमार खण्डेलवाल, हरनामदास अग्रवाल, प्रदेश सरकार में रहे पूर्व मंत्रीधर्मदत्त वैध, डा. ए पी सिंह पूर्व एमएलसी आदि जनों ने निरन्तर प्रयास द्वारा इस गुरूकुल को प्रारंभ किया गया था जो आजकल निरन्तर प्रयत्नशील रहकर एक सुव्यवस्थित गुरूकुल का सपना साकार हुआ। श्री बंशीधर पांडे ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री – मंत्रियो को गुरुकुल की मदद को पत्राचार भी किया गया पर अब तक परिणाम शून्य ही रहा।
श्री टीबरीनाथ सांगवेद संस्कृत महाविद्यालय में प्रातःकाल से लेकर रात्रिकाल तक व्यवस्थित दिनचर्या का पालन किया जाता है। इस गुरूकुल में पर्व एवं जयंतियां पूर्ण् हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती हैं।
बरेली नगर के प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों आनन्द आश्रम में पंडित सचिन श्याम, पशुपति मंदिर में अतुल शर्मा, श्री दुर्गा मंदिर ग्रीनपार्क में गौरव त्रिवेदी, श्री सांई मंदिर कुदेशिया फाटक पर यजुवेन्द्र पाठक, ललित शर्मा, श्री सनातन धर्म मंदिर माडल टाउन में रामनरेश मिश्र, गिरीश मिश्रा, श्री हनुमान मंदिर बड़ा बाग में देवराज, अभिषेक तिवारी, नागेश पाठक, श्री शिवशक्ति हरि मिलापी मंदिर जनकपुरी में शिवशंकर शंखधार- राहुल मिश्रा, श्री शिव मंदिर कूर्मांचल नगर में हरीश जलाकोठी, बद्रीश आश्रम मुंशीनगर में नवीन जोशी, हनुमान मंदिर महानगर में शशिकांत गौड़ आदि पुजारी- अर्चक के रूप में सफलतापूर्वक प्रतिष्ठा अर्जित कर रहे हैं।
पंडित भगवती शास्त्री, अरविंद शर्मा, मुकेश पाण्डेय, नवीन पंत, त्रिलोकीनाथ शास्त्री, हेमन्त शांडिल्य, विक्रांत तिवारी, श्रीकांत शर्मा आदि स्वतंत्र पांडित्य कार्य ज्योतिष एवं कथावाचक द्वारा धार्मिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहे हैं। सत्येन्द्र मोहन शास्त्री, विमल शास्त्री, अमन कृष्ण शास्त्री, आकाश मिश्रा आदि भागवत-कथा द्वारा अध्यात्म जगत में प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहे हैं।
श्री टीबरीनाथ सांगवेद संस्कृत महाविद्यालय में प्रबंधक/मंत्री का कुशल दायितव प्रेमशंकर अग्रवाल एवं अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल पूर्व मेयर के निर्देशन में गुरूकुल का विस्तार हुआ है। यहां के पुस्तकालय में लगभग 6500 पुस्तकें व्यवस्थित रूप से संकलित हैं। कम्प्यूटर लैव में 15 कम्प्यूटर लगे हैं, प्रतिदिन शिक्षक के निर्देश में छात्र कम्प्यूटर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
सीमित साधनों में ही गुरूकुल के कार्य सम्पादित हो रहे हैं। यहां के गुरूजन सेवाभाव समर्पण से गुरूतर दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। प्रतियोगियों में गुरूकुल के छात्रों ने राज्य स्तरीय एवं विज्ञान प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थित दर्ज कराई है।
गुरूकुल का संचालन नगर के दानवीरों की मासिक- वार्षिक अन्नसेवा,धनसेवा द्वारा हो रही है। अनेक दानवीरों ने भवन निर्माण में अपना योगदान दिया है। जिनमें भारतीय जीवन बीमा निगम का गोल्डन जुबली फाउन्डेशन, मुम्बई, डाबर इंडिया लि. नई दिल्ली, धामपुर शुगर मिल्स, सांसद एवम पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, नवीन खण्डेलवाल, श्यामसुन्दर लाल, सतयनरायन गोयल, राजेन्द्र अग्रवाल हरनामदास अग्रवाल राजेन्द्र कुमार अग्रवाल सर्राफ, श्री महेश चन्द्र अग्रवाल आदि जनों का उल्लेखनीय योगदान है।
प्रतिवर्ष वार्षिकोत्सव के रूप में दो-दिवसीय सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार यज्ञ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम माघ शुक्ल पंचमी यानी वसन्त पंचमी को यहां होता है।
यज्ञोपवीत संस्कार के उपरांत ही ब्रह्मचारि वेदाध्ययन का अधिकारी वैदिक सनातन परम्परा में माना जाता है। प्रत्येक सत्र में प्रविष्ट नए छात्रों का यज्ञोपवीत संस्कार करवाया जाता है। यह गुरूकुल का वार्षिकोत्सव/सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति का भी मंच है, जिसे भव्य रूप में किया जाता है।
अब अगले में वर्ष 39 वें वार्षिकोतसव का आयोजन 4, 5 फरवरी 2022 को होगा। उच्च शिक्षा हेतु गुरूकुल के छात्र केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर, जयपुर राजस्थान परिसर, संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, बी.एच.यू. वाराणसी, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार, लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली, जेएनयू, नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय में शास्त्री आचार्य (एम.ए.) बी.एड, एम. एड, एम.फिल, शोध कार्य द्वारा अध्ययन कर रहे हैं।
भारतीय सेना में धर्मगुरू; आर.टी.जेसीओ पद पर जाट रेजीमेन्ट में पं. दुर्गेश चतुर्वेदी एवं राष्ट्रीय रायफल आर.आर. में पं. सदानन्द मिश्र सेवारत हैं। प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक में शिक्षक एवं केन्द्रीय विद्यालय संगठन में शिक्षक पद पर गिरीश पाण्डेय, सचिन शंखधार, नीरज दीक्षित अवधेश शर्मा, उमारण पाण्डेय, बृजेश पनेरू, पंकज पाण्डेय, बजरंग बली दूबे, रविकान्त तिवारी चयनित हो चुके हैं। अनेक छात्र बरेली से बाहर लखनऊ, रामपुर, सोरों, गोला, लखनऊ, दिल्ली गुजरात आदि प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों पर पुजारी पद पर शोभित हैं। इस गुरूकुल में महान विभूतियां जगदगुरू शंकराचार्य स्वामिनाम् श्रीमठ, कांचीपुरम, रमेश भाई ओझा, पं. मुरारी बापू, स्वामी विवेकानंद सरस्वती, नैमिषारण्य, तीतापुर, स्वामी विष्णु आश्रम आचार्य मृदुलकृष्ण शास्त्री, प्रो. प्रेमा पांडुरंग, श्री त्रिभुवन प्रसाद तिवारी, पूर्व राज्यपाल, पांडुचेरी, कुष्ण चन्द्र शास्त्री, ठाकुर जी वृन्दावन, श्रीनिवास मिश्र, न्यायाधीध उच्च न्यायालय प्रयागराज आदि अनेक विभूतियों का आगमन हो चुका है।
यह गुरूकुल भारतीय संस्कृति एवं देवभाषा संस्कृत के संरक्षण एवं संबर्धन हेतु प्रयासरत है। वैदिक सनातन संस्कृति के प्रचार- प्रसार में संलग्न यहां के स्नातक पूरे देश में इस गुरूकुल की विशिष्ट पहचान बना चुके हैं।
निर्भय सक्सेना, पत्रकार