अरुणांचल में भी चीन को भारतीय सेना ने दिखाई अपनी ताकत
चीन को हर मोर्चे पर घेरने की भारत ने राह की तैयार, ताइवान मुद्दे पर अमेरिका भी हुआ सतर्क — निर्भय सक्सेना
बरेली। गलवां में बुरी तरह मार खाने के बाद भी चीन की हेकड़ी कम नहीं हुई है। विस्तारवादी नीति का सपना देखने बाला चीन पर विश्व समुदाय एवम क्वाड की नकेल के बाद भी उसकी बौखलाहट एवम चालबाजी अभी भी कम नही हो पा रही है। अरुणांचल में अब फिर चीन की सेना ने जिस प्रकार चालबाजी के तहत घुसने का असफल प्रयास किया चौकन्ने भारतीय सैनिकों ने उन्हें उनकी हद में ही रहने को मजबूर कर यह संदेश दे दिया कि अब यह 2021 कि मोदी सरकार की सेना है । उसी तरह ताइवान में भी चीन की हवाई घुसपैठ पर अमेरिका ने भी अपनी आंखें तरेर कर चीन को ताइवान मुद्दे पर कड़ा संदेश दे दिया है। स्मरण रहे कमांडर स्तर की 12 दौर की वार्ता के बाद भी चीन की कथनी करनी एक नही हो रही है। चीन लद्दाख अरुणाचल में सीमा पर सैनिकों की संख्या घटाने की जगह निरंतर बढ़ा ही रहा है। जिस पर भारत ने भी वायु सेना की ताकत में राफेल, मिज़ाइल, सीमा पर टैंक के अलावा समुद्र में भी अपनी ताकत काफी बढ़ा ली है ताकि चीन को हर मोर्चे पर झुकने को मजबूर किया जा सके। साथ ही विश्व को शांति का संदेश, समुंदर की रक्षा के लिए भी संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से संदेश देकर अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका पर सवाल खड़े कर उसे भी मानवहित में सुधरने की नसीहत दे दी है। स्मरण रहे चीन ने गलवां के बाद अब अरुणांचल के तवांग के यंगशी में 200 चीनी सैनिकों ने अवैध घुसपैठ की कोशिश को भारतीय सेना ने विफल करके कुछ चीनी सैनिकों को पकड़ भी लिया था। जिसे बाद में स्थापित प्रोटोकाल के तहत कमांडर स्तर की वार्ता के बाद चीन के अधिकारियों को बापस कर दिया गया। चीन पहले भी उत्तराखंड के बराहोती एरिया में इसी तरह की चालबाजी में विफल होकर पिट चुका था। भारत के मीडिया हाउस के एक प्रोग्राम में भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ठ किया कि अब भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जो भी करना है उसके संदर्भ में संकल्प, मजबूत इच्छा शक्ति, की सरकार की कोई कमी नही रही है। चीन ने अभी भी सीमा पर सेना को बनाये रखा है। चीन ने जो भी कुछ किया है वह दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है। अब चीन के कमांडर स्तर की 13वें दौर की आगामी दिनों में वार्ता भी होनी है। पर भारत लद्दाख के साथ ही चीन से लगने वाली सीमा पर निरंतर शक्ति और सक्रियता बढ़ा रहा है। भारत ने चीन सीमा पर जहाँ हल्के टैंक भेजे हैं वही समुन्दर में भी सैन्य शक्ति में बढ़त हो रही है। गत दिवस ओडिशा के चांदीपुर में रक्षा अनुसंधान एवम विकास संघटन ने रूस के साथ मिलके जमीन से जमीन पर मार करने वाली सबमरीन लांच क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का भी सफल परीक्षण किया। 3 हजार किलो बजनी यह ब्रमहोस मिसाइल ध्वनि की गति से 2.8 गुना तेज गति की क्षमता के साथ 4300 किलोमीटर की उड़ सकता है। इसे पानी के जहाज, वायुसेना के अलावा थल सेना भी लॉन्चर से प्रयोग कर सकती है। उलझन पैदा नहीं की जानी चाहिए। भारत भी अब अपनी सैन्य छमता में मेक इन इंडिया को बढ़ाने की दिशा में कार्य शुरू किया है। केंद्र सरकार ने रक्षा संबंधी एरिया में एयरबस के साथ 20 हजार करोड़ के बड़े सौदे पर मुहर लगा दी है। वायुसेना की ताकत बढ़ाने में लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस 56 सी- 295 सैन्य परिवहन विमान खरीदे जाएंगे। इसमें एयरबस स्पेन से 16 विमान भारत भेजेगा और शेष 40 का निर्माण देश मे टाटा एडवांसड सिस्टम लिमिटेड के साथ साझेदारी में बनाये जाएंगे। यही नही रक्षा मंत्रालय ने 7523 करोड़ की लागत वाले 118 एमबीटी एमके – 1 ए अर्जुन टैंक खरीद के सौदे को भी मंजूरी दी। इससे भी भारत की सेना की जंगी ताकत बढ़ेगी। स्मरण रहे कि चीन पाकिस्तान को आगे कर एक ओर जहां वह अफगानिस्तान में आतंकवाद को अघोषित संरक्षण की दिशा में काम कर अपने हित साध रहा है।वहीं चीन विश्व को भी संकट की राह पर ले जाने का कुप्रयास में लगा है। जिस पर अब भारत ने संयुक्त राष्ट्र व क्वाड समूह के जरिये चीन को घेरने की राह भी तैयार कर दी थी। बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व संगठन पर कई सवाल उठाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ को अब अपनी प्रासंगिकता कायम रखने के लिए अपनी प्रभावशीलता सुधारनी और विश्वसनीयता बढ़ानी होगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के क्रियाकलाप पर कई सवाल भी उठाये थे। साथ ही यह भी कहा कि अब समय है इन प्रश्नों की समीक्षा कर इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघ अपने कार्यप्रणाली में सुधार भी करे। प्रधानमंत्री मोदी का बिना नाम लिए इशारा इस वैश्विक संस्था पर चीन की कठपुतली होने के आरोप की और ही था। यही नही अमरीका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया देशों के समूह ‘क्वाड’ के पहले शिखर सम्मेलन में भी हिन्द – प्रशांत एरिया में कानून के राज पर जोर दिया गया। इसमें भी समुन्दर में दबदबा बनाने की कोशिश में लगा चीन क्वाड नेताओ के निशाने पर ही रहा। अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका की चर्चा भी क्वाड की उसी बैठक में हुई थी। अफगानिस्तान को लेकर कूटनीतिक, आर्थिक और मानवाधिकार पर सहयोग का निर्णय लिया गया था। जिसमें क्वाड नेताओ ने कहा कि “अफगानिस्तान की धरती का प्रयोग किसी भी दूसरे देश लर हमला करने, आतंकी समूह को प्रश्रय देने या आतंकियों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए नहीं किया जाये”। इसमें साथ ही क्वाड नेताओ ने सेमीकंडक्टर चिप की आपूर्ति सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता भी जताई। बीते दिनों भारत यात्रा पर आई अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन ने भी भारत को एक अहम साझेदार और वैश्विक व्यवस्था को बेहतर बनाने में सहयोगी के तौर पर चिन्हित किया था। साथ ही कहा कि अगर अमेरिका या उसके मित्र देशों के हितों पर आंच आती है तो अमेरिका चीन का मुकाबला करने को तैयार है। उन्होंने भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रीगला से सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर वार्ता की। उधर ताइवान में भी चीन की हरकतों की विफलता के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है। जमीनी माहौल बनाने को फ्रांस के सांसदों का एक दल भी ताइवान पहुँच गया है। स्मरण रहे भारत भी अब अपनी सैन्य क्षमता में मेक इन इंडिया को बढ़ाने की दिशा में कार्य तेज कर रहा है। वायु सेना के 89वें स्थापना दिवस अवसर पर भारतीय वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने चीन और पाक को सीधा संदेश दे दिया कि भारतीय सीमाओ की रक्षा करने को वायुसेना पूरी तरह तैयार है जिसका उदाहरण वायुसेना ने गलवां में अपनी तत्परता से दिखा भी दिया था।
निर्भय सक्सेना, पत्रकार