सलावा गांव में नाकाबंदी, राजनीतिक दलों की एंट्री बैन, रालोद व आजाद समाज पार्टी के नेता रोके गए
मेरठ। सलावा गांव बीते मंगलवार की रात दो समुदायों के बीच हुई झड़प के चलते सुर्खियों में है और सियासी सरगर्मी का केंद्र बन चुका है। क्षेत्र में अमन और भाईचारा कायम करने के प्रयासों के तहत राष्ट्रीय लोकदल का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को गांव जा रहा था, जिसे रोक लिया गया। विपक्षी दलों आज़ाद अधिकार सेना और आज़ाद समाज पार्टी ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया है।राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्यमंत्री चौधरी जयंत सिंह के निर्देश पर गठित प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व विधायक राजेंद्र शर्मा ने किया। हालांकि, सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सरधना थाना पुलिस ने प्रतिनिधिमंडल को गंगनहर के पास स्थित होटल में रोक लिया। यहीं पर सलावा गांव से आए ग्रामीणों से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी ली गई। प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख नेताओं ने कहा कि वे केवल शांति और भाईचारा स्थापित करने के लिए क्षेत्र में आए हैं। राजेंद्र शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल हमेशा से शांति, सौहार्द और सामाजिक समरसता की पक्षधर रहा है। हमारा प्रयास है कि कोई भी परिवार डर के मारे गांव न छोड़े और बातचीत से हल निकले। सिवालखास से रालोद विधायक गुलाम मोहम्मद ने कहा कि हमें गांव के सभी समुदायों से संवाद स्थापित करना है। रालोद का मकसद है कि क्षेत्र में फिर से भाईचारा कायम हो और गलतफहमियां दूर की जाएं। रालोद की सामाजिक न्याय मंच की प्रदेश अध्यक्ष संगीता दोहरे ने कहा कि केवल प्रशासनिक कार्रवाई से अमन बहाल नहीं होगा। सभी पक्षों के सम्मानित लोगों को साथ लेकर विश्वास बहाली पर ज़ोर दिया जाए। आज़ाद समाज पार्टी ने बुलडोजर कार्रवाई की निंदा की
आज़ाद समाज पार्टी ने भी प्रेस वार्ता कर प्रशासन पर जमकर निशाना साधा। पार्टी के नेताओं ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई असंवेदनशील और असंवैधानिक है। जिलाध्यक्ष चरण सिंह ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए। लेकिन सलावा की घटना में एक ही समुदाय को टारगेट किया गया, जो न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। पूर्व सभासद शाहरुख, आरिफ बंटी, डॉ. ओमप्रकाश, संजीव पाल आदि नेताओं ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और कार्रवाई, तालाब की भूमि विवाद की जांच की मांग की।
आज़ाद अधिकार सेना ने कार्रवाई को बताई एकतरफा
सलावा गांव में तालाब के पास मछली पकड़ने और पशु बांधने को लेकर हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था। इसके बाद पुलिस ने मुस्लिम पक्ष के 8 लोगों को गिरफ्तार किया। 18 सितंबर को अतिक्रमण बताकर दो मकानों को ढहा दिया। आज़ाद अधिकार सेना ने इस कार्रवाई को एकतरफा बताया है। राष्ट्रीय संगठन मंत्री देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि प्रशासनिक कार्रवाई पूरी तरह पक्षपातपूर्ण रही है। पुलिस और प्रशासन राजनीतिक दबाव में कार्य कर रहे हैं। उच्च न्यायिक जांच आवश्यक है। जबकि स्थानीय खुफिया इकाई एलआइयू ने पूर्व में बढ़ते तनाव को नजरअंदाज किया। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ नेताओं की भड़काऊ पोस्ट्स ने हालात को और बिगाड़ा।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ कंटेंट का विरोध
स्थानीय नागरिकों के प्रतिनिधि मंडल ने एसडीएम से मुलाकात की और स्थिति पर चिंता जताते हुए कई अहम मांगें रखीं। बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया पर भड़काऊ और आपत्तिजनक वीडियो प्रसारित किए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ने की आशंका है। ऐसे कंटेंट को तुरंत हटवाया जाए। गांव में महिलाओं, बच्चों और आम ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती और रात में नियमित गश्त बढ़ाने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में आगा अली शाह, शाहवेज अंसारी, ललित गुज्जर, अशरफ राणा, इकराम अंसारी, एडवोकेट रविंद्र, सभासद शाहिद, शकील मिर्जा, तराबुद्दीन अंसारी शामिल रहे।
आजाद समाज पार्टी के सरधना विधानसभा प्रभारी नजरबंद
फलावदा के गांव रसूलपुर निवासी आजाद समाज पार्टी के सरधना विधानसभा प्रभारी शाहजेब रिजवी को पुलिस ने नजरबंद कर दिया। शाहजेब ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रसासन द्वारा एकतरफ़ा कार्यवाई की गई। उन्हें ही जेल भेजा गया और उनके ही घरों पर बुलडोजर चलाया गया। शुक्रवार को वे सलावा गांव जा रहे थे, इसलिए उन्हें नजरबंद किया।




















































































