बरेली। बिजली विभाग के निजीकरण और उससे जुड़ी समस्याओं को लेकर किसान एकता संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ रवि नागर के नेतृत्व में नगर मजिस्ट्रेट के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। किसान डॉक्टर रवि नागर ने बताया कि 25 नवंबर 2024 को हुई वित्तीय समीक्षा बैठक में पावर कारपोरेशन द्वारा दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय लिया गया था, जिसे राज्य सरकार की भी मौन सहमति प्राप्त है। संगठन ने इस फैसले को जनविरोधी और किसान विरोधी बताते हुए तत्काल रद्द करने की मांग की। किसान एकता संघ ने केंद्र सरकार के बिजली संशोधन बिल 2020 और 2022 का भी विरोध करते हुए कहा कि यह कानून किसानों से किए गए लिखित वादों का उल्लंघन है। निजीकरण से न केवल बिजली महंगी होगी, बल्कि लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे और आम जनता को भारी नुकसान होगा। ज्ञापन में 7 प्रमुख मांगें रखी गईं, जिनमें निजीकरण पर रोक, हर ग्रामीण उपभोक्ता को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, ट्यूबवेल के लिए 18 घंटे मुफ्त आपूर्ति, स्मार्ट मीटर योजना रद्द करना, कनेक्शन शुल्क समाप्त करना और सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित करना शामिल है। ज्ञापन देने वालों में राजेश शर्मा, गिरीश गोस्वामी, संजय पाठक , श्याम पाल गुर्जर, बोहरन लाल गुर्जर, चौधरी मोहकम सिंह, खेतल सिंह सहित कई कार्यकर्ता शामिल रहे।