परमात्मा अपने भक्तों के भाव एवं भक्ति के अधीन होते हैं

बरेली। प्राचीनतम बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर के श्री रामालय में आयोजित श्रीरामचरितमानस कथा के आज पंचम दिवस परम पूज्य कथा ऋषि पं उमाशंकर व्यास ने कहा कि परमपिता परमात्मा भक्तवत्सल हैं।परमात्मा अपने भक्तों के भाव एवं भक्ति के अधीन होते हैं। जिस प्रकार भक्तों को भगवान की कृपा का आसरा होता है और भक्त का अपने आराध्य से यही विनती होती है कि उनके जीवन को भगवान श्री राम के नाम रूपी गंगा में स्नान करा कर भक्त के अवगुणों को केवल गुणों में परिवर्तित हो सके उसी प्रकार परमात्मा भी चाहते हैं कि जिसको मनुष्य जीवन प्रदान किया है उसको सदगति प्राप्त हो । कथा व्यास कहते हैं कि जब गऊ माता अपने बछड़े को जन्म देती है तब वह बछड़ा गंदगी से लिपटा हुआ होता है तो गाय अपने उस बछड़े को प्रेम से अपनी जीभ से चाट चाट कर उसकी गंदगी को साफ करके बहुत स्वच्छ और निर्मल बना देती है और अपना दुग्धपान करा कर उसका पालन पोषण करती है। इसी भाव को भक्तवत्सलता कहते हैं। कथा व्यास कहते हैं कि इसी प्रकार परमपिता परमात्मा अपनी संतान का अर्थात हम सबको पाप तथा गुण दोष से मुक्त करने के लिए तथा सन्मार्ग पर लाने के लिए सदैब कृपा करते हैं। मनुष्य इस संसार में आकर माया के वशीभूत हो कर गलत मार्ग पर चला जाता है।वह यह भूल जाता है कि इस मिथ्या संसार में उसका उद्धार सत्कर्म और प्रभु स्मरण से ही संभव है। कथा व्यास कहते हैं कि प्रभु श्री राम जब जनकपुरी सीता स्वयंवर के लिए अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जाते हैं तब वहां के सभी नर नारी उनके दर्शन के लिए अति व्याकुल होते हैं। प्रभु श्री राम के कुछ लोग दर्शन कर लेते हैं परन्तु काफी लोग दर्शन नहीं कर पाते हैं। परंतु प्रभु तो भक्तवत्सल हैं और जो मनुष्य प्रभु से मिलने की सच्ची भक्ति और लालसा रखते हैं तो प्रभु स्वयं उन पर कृपा करते हैं ।यही परमात्मा का भक्तवात्सल्य होता है जो अपने भक्तों पर करते हैं।इसी कारण प्रभु अपने गुरु से आज्ञा लेकर और यह कह कर कि लक्ष्मण को जनकपुरी भ्रमण करानी है और वह भ्रमण करते हुए अपने दिव्य दर्शन देकर सभी लोगों पर कृपा करते हैं। कथा व्यास परमात्मा और भक्त के मार्मिक संबंध को समझाते हुए बताते हैं कि एक बार व्रंदावन में संत थे जो देखने में असमर्थ थे और नित्य किसी न किसी का हाथ पकड़कर बिहारी जी दर्शन के लिए जाते थे।किसी ने उनसे पूछा कि आप तो बिहारी जी को देख नहीं सकते फिर आपका आने का क्या लाभ है।
कथा व्यास कहते हैं कि प्रभु के प्रति समर्पित उन संत ने कहा कि देखना और कृपा करना प्रभु का काम है।मेरा काम उन तक पहुंचने की चेष्टा करते रहना है।जब प्रभु ने किसी न किसी माध्यम से अपने तक बुला लिया और स्वय मुझे देख लिया तब मेरा जीवन सफल हो गया और यह निश्चित हो गया कि भगवत्कृपा की प्राप्ति हो गई। कथा व्यास किते हैं कि आपकी प्रभु के प्रति आसक्ति ही आपको प्रभु के वात्सल्य का पात्र बना सकता है और उसके बाद प्रभु स्वयं आपके पास आने के लिए विवश हो जाते हैं अथवा किसी न किसी माध्यम से अपने पास बुला लेते हैं। आज की कथा में मंदिर के रामालय में उपस्थित काफी संख्या हैें भक्तजनों ने श्री रामायण की आरती करी तथा प्रसाद वितरण हुआ। मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ने बताया कि परमपूज्य पं उमा शंकर व्यास द्वारा कथा का गुणगान पिछले 33 वर्षों से निरन्तर बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर सेवा समिति द्वारा कराया जा रहा है । मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ने अनुरोध किया है कि गुरुवार दिनांक 1 मई तक समय सांयकाल 7 से 8.30 तक आयोजित दिव्य श्री रामचरितमानस कथा का कथा का श्रवण करके लाभ लेने का नाथनगरी बरेली के सनातन भक्तजनों से आवाहन किया है। आज की कथा में मंदिर कमेटी के प्रताप चंद्र सेठ , मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ,सुभाष मेहरा तथा हरिओम अग्रवाल का मुख्य सहयोग रहा।