गुरु तेग बहादुर साहिब के 404वें प्रकाश पर्व को मुख्य रखते निकाला गया विशाल नगर कीर्तन
 
                बरेली। हिन्द की चादर, तिलक जनेऊ के रक्षक कहे जाने वाले सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 18 अप्रैल को आने वाले 404वें प्रकाश पर्व को मुख्य रखते एक विशाल नगर कीर्तन गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी जनकपुरी से गुरुवार को निकाला गया जो शील चौराहा, डीडीपुरम, दिव्यप्रकाश रोड, हरिमन्दिर, मॉडल टाउन गुरुद्वारा से स्टेडियम रोड होते हुए गुरुद्वारा श्री गुरु दुख निवारण साहिब में सम्पन्न हुआ। नगर कीर्तन में सबसे आगे नगाड़ा, गुड़ सवार निहंग सिंह, स्कूलों के बच्चे, प्रचारक वैन, पाइप बैंड, कीर्तनी जत्थे व स्त्री सत्संग सभा की महिलाएं व पंच प्यारो के रूप में बच्चे मौजूद रहे। विशेष फूलों से सजी पालकी साहिब में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब को सुशोभित कर उनके तत्वाधान ही नगर कीर्तन में आए श्रद्धालु आशीर्वाद ले रहे थे। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा मॉडल टाउन कमेटी के साथ वहाँ की संगत ने नगर कीर्तन का जोरदार स्वागत किया जो देखते ही बन रहा था। समाप्ति के उपरांत गुरु का लंगर अटूट बांटा गया।

बताते चलें कि गुरु तेग बहादुर साहिब का पहला नाम त्याग मल था। सिख धार्मिक अध्ययन के सूत्रों में उनका उल्लेख ‘संसार की चादर’ के रूप में किया गया है। जबकि भारतीय परंपरा में उन्हें ‘हिंद दी चादर’ कहा जाता है।उनके पिता थे सिखों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब और उनकी मां का नाम माता नानकी था। गुरु तेग बहादुर जी का जन्म अमृतसर के गुरु के महल में हुआ था। गुरु तेग बहादुर, गुरु हरगोबिंद साहिब के सबसे छोटे बेटे थे। गुरु तेग बहादुर ने अपनी आरंभिक शिक्षा भाई गुरदास जी से और शस्त्र विद्या भाई जेठा जी से ली थी। खालसा साजना दिवस के क्रमवार कार्यक्रम की श्रखला में गुरुद्वारा गुरू गोबिंद सिंघ नगर माडल टाउन मे श्री आनंद पुर साहिब से आये भाई हरभजन सिंघ खालसा ने नितनेम की बाणी तव प्रसाद सवैये की विचार का समापन किया! खालसा जी ने संगत को समझाया कि संगत मे आना बहुत अच्छी बात है! परन्तु सिक्ख को अमृत पान करना भी अति आवश्यक है अमृत गुरू गोबिन्द सिंघ को भी पान करना पड़ा था! 14 अप्रैल को हर सिक्ख अमृत पान करे! मालिक सिंघ कालड़ा ने बताया कि कल से श्री दरबार साहिब के पूर्व हेड ग्रंथी सिंघ साहिब ज्ञानी जसविंदर सिंघ जी कल से अगले तीन दिन खालसा साजना दिवस (वैसाखी पर्व) का इतिहास सुनाएंगे। आज सुबह व शाम ज्ञानी जसविंदर सिंह जी हैड ग्रन्थी श्री दरबार साहिब बाबा बकाला गुरमत विचार संगत के साथ साँजा करेंगे।





















































































 
                                         
                                         
                                         
                                        