आंबेडकर के जन्म दिवस पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होगा
शाहजहांपुर।।भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में स्वामी शुकदेवानंद कालेज में अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के मध्य भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्वागत करते हुए शिक्षा विभाग के डॉ. मनोज कुमार मिश्रा ने अतिथियों का परिचय एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की । विशिष्ट अतिथि श्री दुर्ग विजय ने कहा डॉ. अंबेडकर एक असाधारण व्यक्ति थे। वे एक महान समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और विद्वान थे। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने अटूट संकल्प और ज्ञान के बल पर समाज में व्याप्त अन्याय और भेदभाव के खिलाफ आजीवन संघर्ष करते रहे।बाबासाहेब का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारतीय संविधान का निर्माण है। वे संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने अथक परिश्रम करके एक ऐसा संविधान तैयार किया जो न केवल भारत की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करता है, बल्कि प्रत्येक नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार भी प्रदान करता है। उनके द्वारा संविधान में शामिल किए गए मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व, विशेष रूप से कमजोर वर्गों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करते हैं और एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज की नींव रखते हैं।संविधान निर्माता के रूप में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हों और किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव न किया जाए। उन्होंने अस्पृश्यता को समाप्त करने और दलितों को सामाजिक समानता दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप ही आज दलित समुदाय शिक्षा, रोजगार और राजनीति जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बना पाया है।डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा के महत्व को भलीभांति समझा था। उनका मानना था कि शिक्षा ही वह शक्तिशाली हथियार है जिससे व्यक्ति सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो सकता है। उन्होंने दलितों और अन्य वंचित समुदायों के लिए शिक्षा के द्वार खोलने के लिए अथक प्रयास किए और कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका यह विचार आज भी प्रासंगिक है कि शिक्षा के बिना सामाजिक न्याय और समानता की स्थापना संभव नहीं है। कार्यक्रम अध्यक्ष हिंदी विभाग के सुजीत वर्मा जी ने कहा-अंबेडकर ने भारतीय समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता के खिलाफ अथक संघर्ष किया। उन्होंने दलितों को सामाजिक समानता और न्याय दिलाने के लिए कई आंदोलन चलाए और उन्हें शिक्षित और संगठित होने के लिए प्रेरित किया। अंबेडकर दलितों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उन्नति के लिए चिंतित थे। उन्होंने उनके लिए शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अवसरों को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए। अंबेडकर महिलाओं के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा, संपत्ति और राजनीतिक भागीदारी का समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने हिंदू कोड बिल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने महिलाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किए।
शिक्षा विभाग के अभिषेक दीक्षित ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में आरती,शिल्पी,शशी एवं कपिल कुमार ने भाषण प्रतियोगिता में क्रमशः प्रथम द्वितीय तृतीय एवं चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम में उत्साहवर्धन हेतु महाविद्यालय के विभिन्न आचार्य एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. श्रीकांत मिश्रा ने किया गया।




















































































