बदायूँ में आचमन कवि सम्मेलन में बही काव्य रसों की अविरल धारा
बदायूँ।आचमन फाउंडेशन द्वारा बदायूँ क्लब में आयोजित चतुर्थ कवि सम्मेलन में साहित्य का अनुपम संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे नामचीन कवियों ने कविता के समस्त रसों की अविरल धारा बहाई। देर रात तक श्रोताओं ने इस काव्य गंगा में डुबकी लगाई और तालियों की गूंज से सभागार को जीवंत बनाए रखा। समारोह में प्रख्यात कवि श्री यश मालवीय को ‘चतुर्थ आचमन सम्मान’ प्रदान किया गया और डॉ. सोनरूपा विशाल के नये ग़ज़ल संग्रह ‘सपनों से जब निकले हम’ का भव्य लोकार्पण भी हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्पण से हुआ। इस अवसर पर नगर विधायक महेश चंद्र गुप्ता, दातागंज विधायक राजीव कुमार सिंह, बिल्सी विधायक हरीश शाक्य, भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. बृजेश कुमार सिंह, नगर पुलिस अधीक्षक अमित किशोर श्रीवास्तव, रूहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजीव कुमार सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक विशाल सहित अनेक विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
फाउंडेशन की संस्थापक युगल कवयित्री डॉ. सोनरूपा विशाल एवं श्री विशाल रस्तोगी ने सभी अतिथियों का पटका पहनाकर, पुष्प गुच्छ एवं ‘आचमन’ का विशेष प्रतीक प्रदान कर स्वागत किया।
सम्मान समारोह में प्रतिष्ठा का प्रतीक बना ‘आचमन सम्मान’
इस अवसर पर देश के वरिष्ठ गीतकार एवं प्रख्यात कवि श्री यश मालवीय को चतुर्थ ‘आचमन सम्मान’ प्रदान किया गया। सम्मान के पश्चात मंच पर ही डॉ. सोनरूपा विशाल की ग़ज़लों की नयी पुस्तक ‘सपनों से जब निकले हम’ का सभी साहित्यकारों द्वारा संयुक्त रूप से लोकार्पण किया गया। कवि डॉ. सर्वेश अस्थाना ने आचमन फाउंडेशन की स्थापना और उसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
रसों की बौछार में भीगा श्रोताओं का मन
सम्मेलन में हास्य, श्रृंगार, ओज, वीर, करुण, शृंगार, भक्ति सभी रसों की झलक दिखी। मंच का संचालन कुशलता से डॉ. सोनरूपा विशाल ने किया, जबकि अध्यक्षता श्री यश मालवीय जी ने की।
कार्यक्रम में शामिल हुए प्रमुख कवियों में हाथरस से डॉ. विष्णु सक्सेना, ग्वालियर से मदन मोहन दानिश, लखीमपुर से ओज कवि आशीष ‘अनल’, भोपाल से शिवांगी प्रेरणा, गया बिहार से सान्या राय, बिसौली से दत्त शर्मा, और बाराबंकी से हास्य कवि विकास बौखल प्रमुख रहे।
कविता के कुछ झलकियाँ जो दिल में उतर गईं
सान्या राय (गया, बिहार) ने जब कहा:
“कोई जादू, कोई टोना, या कोई यज्ञ, या पूजा,
कोई तो रास्ता होगा ना तुमको भूल जाने का?”
तो पूरा मंच तालियों से गूंज उठा।
विकास बौखल (बाराबंकी) ने अपने चुटीले अंदाज में कहा:
“किसी खंजर से ना तलवार से जोड़ा जाए,
सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाए।”
तो श्रोताओं की हंसी और तालियां थमने का नाम नहीं ले रही थीं।
आशीष अनल (लखीमपुर):
“ये तिरंगा द्रौपदी का चीर नहीं है,
ये किसी के बाप की जागीर नहीं है।”
उनकी ओजस्वी वाणी ने देशभक्ति की भावना से सभी को भर दिया।
मदन मोहन दानिश (भोपाल) के शेरों ने माहौल को गहराई दी:
“ख़ामोशी को मेरी दुआ समझो,
और जो बोल दूँ हुआ समझो।”
शिवांगी प्रेरणा के गीतों ने संवेदनाओं को छू लिया:
“आज हृदय अंबर में मेरे उदय हुआ है गीत,
ओ! मेरे मनमीत, सुन! मेरे मनमीत।”
डॉ. विष्णु सक्सेना ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में सुनाया:
“जो हाथ थाम लो वो फिर न छूटने पाए,
जब भी छू लो बुलंदियां तो ध्यान ये रखना,
ज़मीं से पांव का रिश्ता न टूटने पाए।”
यश मालवीय जी की कविताओं ने समापन को गौरवपूर्ण बना दिया:
“खिला खिल चेहरा है दिल की उम्मीद का,
चार चांद लगा गया एक चांद ईद का।”
कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने पहुंचे अनेक गणमान्य अतिथि
कवि सम्मेलन में भाजपा महामंत्री श्री शारदाकान्त, दीपमाला गोयल, अशोक भारती, गौरव गुप्ता गोल्डी, डॉ. उपदेश शंखधार, सुभाष अग्रवाल, डॉ. कमला माहेश्वरी, मधु राकेश, विजय मिश्रा, हितेंद्र शंखधार, सरिता सिंह, रविंद्र सक्सेना सहित दर्जनों गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सम्मान सत्र डॉ. अक्षत अशेष द्वारा और कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. सोनरूपा विशाल द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न कराया गया।
इस आयोजन ने बदायूँ की साहित्यिक विरासत को एक नई ऊंचाई दी और श्रोताओं के हृदय में गहरी छाप छोड़ी।




















































































