बदायूँ। स्वर्णिम विजय मशाल सम्मान के साथ बदायूँ के हाफिज सिद्दीक इस्लामियां इंटर काॅलेज पहुँची। जिलाधिकारी कुमार प्रशान्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा एवं सेना के अधिकारियों द्वारा शहीदों से श्रद्धाजलि अर्पित की गई और मशाल की सलामी ली गई। छात्र-छात्राओं द्वारा देश-भक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए, जिसमें हा0सि0 इंटर काॅलेज के कक्षा 11 बी2 के छात्र अबूजर, सैफ और शान द्वारा स्पीच दी गई, जिसकी सराहना सभी अथितियों द्वारा की गई। लघु नाटिका एवं गीतएनसीसी कैडेट्स द्वारा व अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध भारतीय जीत 50वीं स्वर्ण जयंती देश विजय दिवस मना रहा है। यह दिन भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इतिहास में काफी अहमियत रखता है। उसी साल भारत ने पाकिस्तान को वह जख्म दिया था, जिसकी टीस पाकिस्तान को हमेशा महसूस होती है। यह वो साल था जब दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। 1971 में चले इस संघर्ष का प्रारंभ 03 दिसम्बर 1971 से हुआ और ये 17 दिसम्बर 1971 तक चला। 16 दिसम्बर को भारत में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1971 में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसी युद्ध के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वर्णिम विजय मशाल को नेशनल वाॅर मैमोरियल में प्रज्वलित किया। इन मशालों को देश के अलग-अलग कोनो में ले जाया जा रहा है। इसी मुहिम के अन्तर्गत स्वर्णिम मशाल बदायूँ पहुंची। डीएम ने कहा कि देश के वीर जवानों के दृढ़ संकल्प से हम सभी संरक्षित हैं, उनको इस बलिदान और साहस की कोई कल्पना नहीं कर सकता। हमारे वीर जवानों ने 1971 के युद्ध में दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए थे और पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया, जिस वजह से इस दिवस को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर वीर शहीदों की विधवाओं एवं परिजनों को सम्मानित किया गया एवं उनके द्वारा मशाल के सम्मुख पुष्पमाला अर्पित की गईं। मशाल के प्रस्थान म्यूजिक पर राष्ट्रगान बजाया गया। संचालन अब्दुल सुबूर खां ने किया।