कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी से दें बच्चों को गुणवत्तापूर्ण जीवन मिला

बरेली। वर्ल्ड हियरिंग डे (विश्व श्रवण दिवस) पर एसआरएमएस मेडिकल कालेज में जागरूकता कार्यक्रम हुआ। ईएनटी एंड एचएनएस विभाग द्वारा चेंज इन माइंडसेटः इंपावरिंग योरसेल्फ (मानसिकता में बदलाव से खुद को सशक्त बनाएं) टैग लाइन से आयोजित इस कार्यक्रम में कोक्लियर इंप्लांट के बाद स्वस्थ हुए सुनने और बोलने में असमर्थ बच्चों ने केक काटा और फिर श्लोक, गाने, कविता सुनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और मूक बधिरता के उन्मूलन के लिए सभी को जागरूक किया। इन बच्चों को संस्थान के चेयरमैन देव मूर्ति ने गिफ्ट देकर प्रोत्साहित किया। एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति , मेडिकल कालेज के डायरेक्टर आदित्य मूर्ति , प्रिंसिपल एयरमार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, ईएनटी एंड एचएनएस विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डा.) रोहित शर्मा, डा.अमित राणा के दीप प्रज्वलन और और सरस्वती वंदना के साथ जागरूकता कार्यक्रम आरंभ हुआ। आदित्य मूर्ति ने कहा कि एक कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी में करीब 6-7 लाख रुपये का खर्च आता है। ऐसे में महंगी होने के कारण ज्यादातर माता पिता इसकी अनदेखी कर देते हैं। जिससे बच्चे जिंदगी भर के लिए मूक और बधिर हो जाते हैं। इसे देखते हुए वर्ष 2016 में एसआरएमएस में कोक्लियर इंप्लांट कार्यक्रम आरंभ हुआ।

संस्थान के अगुआ देव मूर्ति ने प्रति वर्ष दो बच्चों का आपरेशन ट्रस्ट के फंड से कराने का वायदा किया, जिसके बाद यहां आपरेशन आरंभ हुआ। अब सरकार ने अपने कोक्लियर इंप्लांट कार्यक्रम में एसआरएमएस को शामिल किया। जिससे यहां पर हर जरूरतमंद बच्चे का आपरेशन कर उनकी जिंदगी को गुणवत्तापूर्ण बनाया जा रहा है। एसआरएमएस मेडिकल कालेज में अब तक करीब 35 बच्चों क़ी कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की जा चुकी है। बच्चों के लिए यहां पर स्क्रीनिंक कार्यक्रम भी संचालित है। जिसके तहत यहां पैदा होने वाले सभी नवजात बच्चों की स्क्रीनिंक की जाती है। प्रिंसिपल एयरमार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला ने कहा कि कान के अंदरूनी हिस्से कॉक्लिया में हजारों कोशिकाएं होती हैं। जो ध्वनि तंरगों को इलेक्ट्रिकल सिंग्नल में बदलती हैं। इन्हीं इलेक्ट्रिकल सिंग्नल को बाद में श्रव्य तंत्रिकाओं द्वारा प्राप्त किया जाता है, जो संदेश को दिमाग तक पहुंचाती है। इसमें किसी तरह की दिक्कत होने पर हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। आज के समय श्रव्य तंत्रिकाओं को सबसे ज्यादा क्षति तेज आवाज और इयर फोन से हो रही है। ऐसे में इयर फोन का कम से कम इस्तेमाल करें और तेज आवाज में बजते लाउड स्पीकर या डीजे के खिलाफ भी आवाज उठाएं। इससे पहले प्रोफेसर (डा.) रोहित शर्मा ने सभी का स्वागत किया और वर्ल्ड हियरिंग डे की जानकारी दी। कान के अंदरूनी हिस्से में स्थित कॉक्लिया के खराब होने पर सुनने और बोलने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका इलाज कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी ही है। इसमें सर्जरी से कान के अंदरूनी हिस्से कॉक्लिया में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इंप्लांट किया जाता है। जो कान के बाहर लगे उपकरण से संचालित होता है। आपरेशन की यह पूरी प्रक्रिया कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कहलाती है। इस आपरेशन के बाद बच्चे सुनने और बोलने में सक्षम हो जाते हैं। कार्यक्रम के अंत में डा.ममता वर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी के बाद स्वस्थ हुई बच्ची प्रियांशी प्रजापति ने किया। क्वीज कंपटीशन का संचालन डा.आशीष मेहरोत्रा ने किया। इस मौके पर डीन यूजी डा.बिंदू गर्ग, डीएसडब्ल्यू डा.क्रांति कुमार, सभी विभागाध्यक्ष, ईएनटी एंड एचएनएस विभाग के सभी डाक्टर, पीजी विद्यार्थी और एमबीबीएस स्टूडेंट मौजूद रहे।