एस.एस. लॉ कॉलेज में मूट कोर्ट प्रतियोगिता का अंतिम चरण संपन्न

शाहजहांपुर। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 9 व 13 एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 पर आधारित मूट कोर्ट प्रतियोगिता का अंतिम चरण संपन्न हुआ। इस अंतिम चरण में प्रो. अमित सिंह अध्यक्ष विधि संकाय, एम.जे.पी. रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली, श्री मनेन्द्र सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व अध्यक्ष सेंट्रल बार एसोसिएशन, शाहजहांपुर, एवं डॉ. अमित कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर विधि विभाग एम.जे.पी. रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली न्यायाधीश के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती जी के सानिध्य, प्रबंध सचिव, डॉ. अवनीश मिश्रा जी के संरक्षण एवं प्राचार्य डॉ. जयशंकर ओझा जी के निर्देशन में किया गया। स्वामी जी ने सभी प्रतिभागियों की योग्यता एवं दक्षता की सराहना करते हुए कहा कि दोनों भाषाओं की प्रस्तुति प्रशंसनीय रही। विद्यार्थियों को हमेशा सीखने की जिज्ञासा होती है। न्यायालय की कार्रवाई एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें परस्पर बहस एवं बातचीत की आवश्यकता होती है। पक्ष और प्रतिपक्ष के छात्रों को बैंच के साथ बेहतर समन्वय बनाना पड़ता है जिसमें की मर्यादित बोल और पक्षों की दलीले देने वाले व्यक्ति की आवाज ऊँची नहीं होनी चाहिए। बैंच से मिले परिणाम को स्वीकार किया जाना चाहिए और विधि के अनुरूप मूट कोर्ट संचालित करना सबकी प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। दोनों पक्षों को दिए गए तर्कों एवं विधि संवत प्रावधानों के आधार पर ही निर्णय दिया जाता है।
श्री मनेन्द्र सिंह भारत की ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ (Bar Council of India) ने भी कानूनी शिक्षा में परिवर्तन लाने के लिए लॉ पाठ्यक्रम में मूट कोर्ट को शामिल किया है।

इसके माध्यम से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास एवं जन सामान्य के समक्ष अपना तर्क प्रस्तुत करने और रिसर्च आदि के स्तर को बढ़ावा मिलता है। प्रोफेसर अमित सिंह ने बताया कि मूट कोर्ट का उद्देश्य कानून के छात्रों को एक ऐसा मंच देना हैं जहाँ से वह अदालत के बारें में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें। साथ ही छात्रों को मर्यादित भाषा में दलीलें सिखाना और मूट कोर्ट का उद्देश्य छात्रों में विश्वास के भाव को बढ़ाना है। डॉ. अवनीश मिश्रा ने कहा कि इसके माध्यम से विधि छात्रों में एक कुशल अधिवक्ता की नींव पड़ जाती है। मूट कोर्ट के माध्यम से विद्यार्थी आत्मसंयम, निर्भीकता, विचारों की स्पष्ट अभिव्यक्ति, मुकदमों को न्यायालय के समक्ष पेश करना और मुकदमों की पैरवी करने की कला सिखाता है। दिनांक 21 से 25 नवंबर के मध्य महाविद्यालय की कुल 20 टीमों ने प्रतिभाग किया, जिसमें हिंदी भाषा की 12 व अंग्रेजी भाषा की 8 टीम शामिल थी। हिंदी भाषा की टीम संख्या 4 व 2 के मध्य निर्णायक प्रतियोगिता में टीम संख्या 4 ( सौरभ, अभिषेक व सोमजीत) विजेता रही। अंग्रेजी भाषा की टीम संख्या 1 व 8 के मध्य निर्णायक प्रतियोगिता में टीम संख्या 1 ( तृषा, गरिमा व श्रद्धा ) विजेता रही। श्रेष्ठ मूटर का पुरस्कार प्रबल व तृषा को, श्रेष्ठ मेमोरियल का पुरस्कार टीम संख्या 4 व टीम संख्या 1 को एवं श्रेष्ठ शोधकर्ता का पुरस्कार श्रद्धा को दिया गया। विजेता व उपविजेता टीमों को पुरस्कार स्वरूप ट्रॉफी, बेयर एक्ट व आर्थिक सहायता प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया गया।
एस.एस. लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ0 जयशंकर ओझा ने कहा कि इसका उद्देश्य विधि छात्रों को ऐसा मंच देना है, जहां विद्यार्थी अपने पक्ष को सही तरीके से प्रस्तुत कर सकें। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य विधि के छात्रों को अपने व्यावसायिक कौशल और विधि के व्यावहारिक ज्ञान को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. अनिल कुमार शाह, डॉ. पवन कुमार गुप्ता, डॉ. अमित कुमार यादव, डॉ. दीप्ति गंगवार, रंजना खंडेलवाल, डॉ. अमरेंद्र सिँह सुश्री रूपल मिश्रा, डॉ. प्रेम सागर, विजय सिंह, प्रदीप कुमार सिंह, प्रियम कुमार वर्मा, एवं विद्यार्थियों ने प्रतियोगिता के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका रहा।