बाबा त्रिवटीनाथ महादेव मंदिरसंगीतमयी श्रीमद्भागवत कथातृतीय दिवस
बरेली। प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर में संगीतमयी श्री मद्भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिवस वृंदावन के सुप्रसिद्ध कथा व्यास पं.माधव उपाध्याय ने कहा कि मनुष्य को व्याधियों से मुक्त करना और शांति तथा संतोष के मार्ग पर चलने का कार्य भागवत महापुराण के द्वारा ही संभव है।
कथा व्यास ने बताया कि माता सती ने महादेव के कथन को नहीं माना और दक्ष प्रजापति के कारण यज्ञ में अपने प्राणों का अंत करना पड़ा।किसी भी विवाहिता को अपने पतिवृत धर्म का सदैव पालन करना चाहिए । विवाह उपरांत पति का घर ही सर्वोच्च मानना चाहिए। पति की निष्ठा पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए।पति पत्नी इस जीवन रूपी यज्ञ को अपने अपने विश्वास और प्रेम की आहुति से पूर्ण करते हैं। अपने पिता के घर बिना बुलाए जाना सम्मानजनक नहीं होता है । कथा व्यास ने आज समाज में हो रही भ्रूण हत्या को सबसे बड़ा पाप कर्म की संज्ञा देते हुए आवाहन किया कि पुत्र एवं पुत्री को समान समझा जाना चाहिए और परमात्मा की किसी भी उत्पत्ति का विनाश नही करना चाहिए।यह जीवन के संतुलन बिगाड़ता है।किसी भी परिस्थिति में भ्रूण परीक्षण कर भ्रूण हत्या नहीं करनी चाहिए।कथा व्यास ने व्रक्षारोपण करने के प्रति भी आवाहन करते हुए कहा कि व्रक्ष जीवन का आधार है और इनका कम होना ही पर्यावरण असंतुलन का मुख्य कारण है। कथा व्यास कहते हैं कि माता पिता का सम्मान अपने स्थान पर है परंतु अपने पति का सम्मान सर्वोच्च होता है और यही जीवन की सफलता का मुख्य सूत्र है। भारतवर्ष के सभी माता पिता अपनी पुत्री के विवाह पर यही समझाते हैं कि पति का घर ही तुम्हारा घर है। कथा व्यास कहते हैं कि अजामिल नाम का ब्राह्मण था लेकिन कर्मों से नीचे था।उसके पुत्र का नाम नारायण था।अजामिल कभी धर्म तथा परमात्मा को नहीं मानता था।प्रभु के नारायण नाम की महिमा के कारण था कि वह अपने पुत्र नारायण का नाम लेता था और उसको अंत समय में प्रभु के धाम की प्राप्ति होती है। अतः अपने बच्चों अथवा अपने कार्य क्षेत्र का नाम भी बहुत सोच समझ कर ऐसा रखना चाहिए जो कि सार्थकता प्रदान कर सके। कथा व्यास कहते हैं कि परमात्मा अपने भक्तों के विश्वास को पूर्ण करते हैं और संकट से उबारते हैं।भक्त प्रहलाद की निष्ठा और भक्ति को देखकर भगवान ने हिरण्यकश्यप को दिये सभी वरदान को निश्फल किया और खंबे में से प्रकट हो कर नरसिंह अवतार लेकर सत्य रूपी भक्ति को सार्थक करते हैं और अपने भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर कर भाव विभोर होते हैं। कथा व्यास कहते हैं कि जिसका भाव निर्मल होता है वही भगवत कृपा का पात्र बन सकता है। आज की कथा के उपरांत वहां उपस्थित काफी संख्या में भक्तजनों ने श्रीमद्भागवत जी की आरती करी तथा प्रसाद वितरण हुआ। आज के कार्यक्रम में मंदिर सेवा समिति के प्रताप चंद्र सेठ, मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल तथा विनयकिशन अग्रवाल का मुख्य सहयोग रहा।