बरेली। एएमयू के संस्थापक सर सैय्यद का जन्म आज ही के दिन दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। उन्होंने 1875 को मदरसा-तुल-उलूम के रूप में एएमयू की नींव रखी। सर सैय्यद अहमद खां चाहते थे कि मुसलमानों के एक हाथ मे क़ुरान और दूसरे में विज्ञान हो। यह उस दौर की बात थी कि जब मुसलमान शिक्षा में पिछड़े थे। बेटियों को स्कूल भेजना सम्मान के ख़िलाफ़ माना जाता था। सर सैय्यद ने इस सोच को बदलने का बीड़ा उठाया। वे दूरदर्शी थे, उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की तरह भारत मे ही ऐसी यूनिवर्सिटी का सपना देखा। 1875 को उन्होंने सात छात्रों से मदरसा-तुल-उलूम के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की नींव रखी, जो आज देश व दुनिया मे पहचान बनाए हुए है। एएमयू ने अपने उत्कृष्ट शिक्षा से देश भर में ख़ुद को एक बढ़िया संस्थान के रूप में स्थापित किया है। सर सैय्यद के इस सपने को एएमयू में पढ़े छात्र भी साकार कर रहे हैं। देश-विदेश में शिक्षण संस्थान खोलकर शिक्षा का दीप जला रहे हैं। एएमओ कॉलेज से एएमयू तक के सफ़र में सर सैय्यद के चमन से ऐसे कई पूर्व छात्र निकले हैं जिन्होंने अपनी संस्था का नाम रौशन करने में चार चांद लगाए हैं। सर सैय्यद को आधुनिक शिक्षा का जनक कहा जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण में सहायक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खां साहब का योगदान हमेशा अमर रहेगा।