बरेली। प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटीनाथ महादेव मंदिर में आयोजित श्रीरामचरितमानस कथा के अष्टम दिन परम पूज्य कथा व्यास पंडित प्रभाकर त्रिपाठी ने श्री हनुमान जी के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि कार्य करने के संकल्प को पूरा करना श्री हनुमान जी की अति विषेशता है। कथा व्यास कहते हैं कि किसी में बल और बुद्धि हो परंतु उसका प्रयोग कैसे बहुत सावधानी से करना है,यह कौशल केवल श्री हनुमान जी में ही है। कथा व्यास कहते हैं कि भगवान शंकर ने अपने आराध्य श्री राम के समीप रहने और उनकी सेवा करने के लिए श्री हनुमान जी के रूप में अवतरित होते हैं।भाव यह है कि भगवान शंकर के नेत्रों में सूर्य और चंद्रमा रहते हैं तथा प्रभु श्री राम को इनका ताप न लगे।साथ ही भगवान शंकर का लिंग स्वरूप है तब अपने आराध्य की सेवा तथा उनके प्रत्यक्ष रहने का मार्ग श्री हनुमान स्वरूप के द्वारा ही संभव हो सकता है। कथा व्यास कहते हैं कि श्री रामचरितमानस में केवल श्री हनुमान जी को माता सीता पुत्र के रूप में आशीर्वाद देती हैं। श्री हनुमान जी जब अशोक वाटिका में माता सीता को नौ बार संबोधित करते हैं । अभिप्राय यह है कि जैसे देवी के नौ स्वरूप होते हैं और माता सीता तो स्वयं आदि शक्ति हैं।इस कारण श्री हनुमान जी माता के नौ रूप का ध्यान करते हैं। कथा व्यास बताते हैं कि श्री हनुमान जी माता सीता से कहते हैं मुझे भूख लग रही है और आप यदि आज्ञा दें तब मैं यहां लगे फल खा कर अपनी क्षुधा शांत कर लूं। तात्पर्य यह है कि श्री हनुमान जी माता सीता में अपने प्रति मात्रत्व का बोध जगाना चाहते हैं। आज की कथा के उपरांत वहां उपस्थित काफी संख्या में भक्तजनों ने श्री रामचरितमानस की आरती करी तथा प्रसाद वितरण हुआ। आज के कार्यक्रम में मंदिर सेवा समिति के प्रताप चंद्र सेठ, मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल तथा हरिओम अग्रवाल का मुख्य सहयोग रहा।