बदायूँ। इल्मी अदबी रूहानी शख्सियत, शहर काजी, खानकाह आलिया कादरिया सज्जादानशीन, ताजदारे अहले सुन्नत, महबूबे गौसे आज़म हज़रत शाह अब्दुल हमीद अलमारूफ़ सालिम मियाँ हुज़ूर रह. विसाल फरमा गए । आपके मुरीद और आपके चाहने वाले लाखों की तादाद में हिंदुस्तान में नहीं दुनिया में मौजूद हैं । इस माहौल में लोगों ने हज़ारों की तादाद में तदफीन में शिरकत कर अपने घरों में पहुंचकर तिलावत दुरूद का सिलसिला शुरू कर दिया है । लॉकडाउन की वजह से अहले खाना ने जल्द तदफीन करके लोगों से अपने घरों में रहकर दुआओं की दरख्वास्त व फ़ातिहाखवानी की अपील की है । आर्टिस्टस वेलफ़ेयर एसोसिएशन के सदर व बानी हिलाल बदायूँनी ने पुरमलाल अफसोस ज़ाहिर करते हुए कहा हुज़ूर सालिम मियां सुन्नियत के ताजदार और कादरियत का वक़ार थे। उनके पर्दा फरमाने से बदायूँ में एक सदी को खोया है । आपका अचानक परदा फरमाना इस शहर बदायूँ के लिए बहुत बड़ा खसारा है। क्योंकि आप सुन्नियत की पहचान व बदायूँ की रूहानी रिवायत के वारिस ओ वक़ार थे । आपके खानदान की खिदमात और रूहानी कविशों से बदायूँ में क़ादरियत व सुन्ननियत की शनाख्त ज़िंदा है ।