घर से लेकर दुकानों में होती है सप्लाई: इधर पानी की किल्लत
गोरखपुर। एक तरफ नगर निगम के विभिन्न इलाकों में पानी की किल्लत है। वहीं शहर में आरओ वाले पानी का कारोबार करोड़ों रुपये का हो चुका है। यह कारोबार उन इलाकों में भी धड़ल्ले से फल फूल रहा है, जिन इलाकों में नगर निगम के पानी की सप्लाई होती है। नगर निगम द्वारा सप्लाई किए जा रहे पानी को अधिकांश लोग पीने के काम में नहीं लाते हैं । नगर निगम का मुफ्त पानी छोड़कर लोग आरओ प्लांट का पानी खरीद कर पीना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में शहरवासियों के इस जरूरत को पूरा करने के लिए शहर के तकरीबन हर एक वार्ड में आरओ प्लांट की भरमार हो गई है और पीने के शुद्ध पानी के नाम पर पानी का धंधा खूब फल-फूल रहा है। दूसरी तरफ, किसी भी सरकारी विभाग का पानी के इस धंधे पर कोई लगाम नहीं है। बंधु सिंह नगर के सूफीहाता निवासी रुबीना के घर नगर निगम की सप्लाई तो है, लेकिन पीने के लिए वह जार वाले पानी का इस्तेमाल करती हैं। वहीं, रुस्तमपुर नहर रोड के व्यापारी सज्जन लाल गुप्ता भी अपने ग्राहकों की संतुष्टि के लिए आरओ प्लांट द्वारा जार में बेचे जा रहे पानी का ही इस्तेमाल करते हैं। तिवारीपुर के प्रणव उपाध्याय भी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम के आयोजनों में जार वाला पानी ही मंगवाते हैं। कमोबेश यही स्थिति शहर के करीब करीब हरेक इलाकों में है। पानी का प्लांट चलाने वाले रुस्तमपुर के कारोबारी शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि रुस्तमपुर, महुई सुघरपुर, शिवाजी नगर, आजाद चौक, ट्रांसपोर्टनगर, महेवा मंडी आदि इलाकों की दुकानों में ही नहीं सैकड़ों घरों में जार वाले पानी की सप्लाई होती है। अगर प्लांट की बात करें तो ट्रांसपोर्टनगर से देवरिया बाईपास से बायीं ओर आरओ के 25 से ज्यादा प्लांट लगे हैं। आज कल आरओ प्लांट संचालक 1000 लीटर की पानी की टंकी में आरओ प्लांट का पानी भरते हैं और फिर घर से लेकर दुकानों तक पहुंचाते हैं। संचालकों के अनुसार सामान्य दिनों में प्रति दिन एक टंकी तो गर्मी के दिनों में दो टंकी यानी दो हजार लीटर पानी खप जाता है। ऐसे में एक प्लांट संचालन एक दिन में करीब करीब 40 हजार रुपये का पानी बेचते हैं। सिर्फ ट्रांसपोर्टनगर से देवरिया बाईपास के बायीं ओर के इलाकों में लगे आरओ प्लांट के आंकड़ों का हिसाब निकालें तो रोजाना 10 लाख का कारोबार होता है। ऐसे में अनुमानत: पूरे शहर में रोजाना करोड़ों का कारोबार हो रहा है। क्योंकि शहर में आरओ प्लांंटों की संख्या 500 से भी ज्यादा होने का अनुमान है। आरओ प्लांट संचालक छोटू पांडेय ने कहा कि गर्मी के दिनों के अलावा लगन में पानी की खपत काफी बढ़ जाती है। खपत की यह मात्रा दोगुनी तक पहुंच जाती है। डिमांड पूरी करना मुश्किल हो जाता है। भूगर्भ जल विभाग के अनुसार गोरखपुर के सभी आरओ प्लांट अवैध रूप से चल रहे हैं। भूगर्भ जल अधिनियम 2019 के तहत आरओ प्लांट लगाने वाले कारोबारियों को भूगर्भ जल विभाग में पंजीयन कराना होता है। लेकिन, शहर के एक भी आरओ प्लांट का रजिस्ट्रेशन नहीं है। सिर्फ गीडा की कुछ कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ दो लाख से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना और छह महीने से एक साल तक की सजा का भी प्रावधान है। शहर की आबादी तकरीबन दस लाख है। 135 लीटर पानी प्रति दिन प्रति व्यक्ति का औसत खर्च है। इसमें खाना, पीना, नहाना, धोना आदि शामिल है। इस हिसाब से साढ़े तेरह करोड़ लीटर यानी 135 एमएलडी पानी की रोजाना जरूरत है। नगर निगम के आकड़ों के मुताबिक वर्तमान में रोजाना 110 एमएलडी पानी भूगर्भ से निकाला जाता है। 15 फीसद नुकसान मान लें तो नागरिकों को मात्र 95 एमएलडी पानी मिल रहा है। मतलब 38 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन कम मिल रहा है। तिवारीपुर सूफी हाता मरगुबुल हसन ने कहा कि नगर निगम का पानी तो आता है, लेकिन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रतिदिन जार का पानी खरीदते हैं। हरेक महीने कुछ खर्च तो करना पड़ता है। रुस्तमपुर में मोमो की दुकान के मालिक वीरेंद्र गुप्ता ने कहा कि जो भी ग्राहक आते हैं, वह खाने के बाद आरओ का पानी ही मांगते हैं। रोजाना दो से तीन जार पानी खरीदना पड़ता है। मैरेज हाउस संचालक विजय खेमका ने कहा कि विभिन्न प्रकार के आयोजनों में जार वाला पानी मंगवाना पड़ता है। सामान्य दिनों में एक से दो जार पानी की खपत होती है। लगन में खपत बढ़कर 30 से 40 जार तक हो जाती है। भूगर्भ जल विभाग के तकनीकी अधिकारी, दिनेश चंद्र जायसवाल ने कहा कि सहजनवां के कुछ प्लांट को छोड़ दिया जाए तो शहर में एक भी आरओ प्लांट का पंजीयन नहीं है। जबकि व्यावसायिक इस्तेमाल करने वाले सभी कारोबारियों को इस कारोबार का रजिस्टे्रशन कराना अनिवार्य है। इसके लिए 5000 रुपये फीस निर्धारित है। जल्द ही अभियान चलाकर अवैध रूप से आरओ प्लांट का संचालन करने वालों को नोटिस दिया जाएगा।