पूर्व राज्यमंत्री आबिद रजा की एक बार फिर सपा में धमाकेदार एंट्री

निकाय चुनाव के दौरान सपा में वापसी से राजनीतिक समीकरण बदले
अब उनकी पत्नी फातमा रजा सपा के टिकट से लड़ सकती है चुनाव
अब सदर नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव हो गया दिलचस्प
बदायूं। सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समक्ष आज लखनऊ में बदायू सदर के पूर्व विधायक एव पूर्व राज्य मंत्री आबिद रजा एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेतृत्व के प्रति आस्था जताते हुए समाजवादी पार्टी की मजबूती के लिए काम करने का संकल्प व्यक्त किया।
इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलीम शेरवानी तथा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी मौजूद रहे।
आपको बता दे पूर्व राज्यमंत्री आबिद रजा तेज तर्रार जमीन से जुड़े नेता माने जाते है,उनकी छवि आक्रामक नेता की मानी जाती हे,वह अनेक बार ज्वलंत मुद्दे उठाने के कारण चर्चा में रहे और उनका सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव से भी मतभेद हुए। वह सपा से अलग हुए,फिर सपा में शामिल हुए। अब वह एक बार फिर सपा में शामिल हो गए है। उनके सपा में फिर शामिल होने से नगर पालिका चुनाव का पूरा परिदृश्य ही बदल गया हे।
बदायू शहर नगर पालिका चेयरमैन पद का चुनाव अब संघर्षपूर्ण हो जाएगा। भाजपा मौजूदा चेयरमैन दीपमाला या अन्य किसी को भी प्रत्याशी बनाए,चुनाव में कांटे की टक्कर होगी और भाजपा और उसके प्रत्याशी की भी मुश्किल बढ़ जाएगी।
वहीं आबिद रजा की सपा में वापसी से सपा के अन्य दावेदार जो नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव लडने का ख्वाब देख रहे थे उन्हें भी जोर का झटका लगा है और वे मायूस हो गए है,क्योंकि आबिद रजा की सपा में वापसी के साथ उनकी पत्नी व पूर्व चेयरमैन फात्मा रजा के सपा के टिकट से चुनाव लडना तय माना जा रहा है।
इधर माना जा रहा है की सपा हाई कमान ने पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव से मनभेद,मतभेद होने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आबिद रजा की सपा में वापसी पर मुहर लगाई है,क्योंकि आबिद रजा की मुस्लिम समाज पर मजबूत पकड़ बताई जाती है, वही दूसरी ओर आबिद रजा भी कुछ समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे,उन्हे भी सक्रिय राजनीति में वापसी के लिए सपा एक बेहतरीन प्लेटफार्म है। इसलिए भी माना जा रहा है धर्मेंद्र यादव की नाराजगी को दरकिनार कर सपा हाई कमान और आबिद रजा दोनो ने यह राजनीतिक फैसले का कदम उठाया है। हालाकि धर्मेंद्र यादव को अपने समर्थको और कुछ चहेते कार्यकर्ताओं की खरी खोटी सुननी पड़ सकती हे।
फिलहाल साल की अंतिम बेला में सपा के पूर्व राज्यमंत्री विमल कृष्ण अग्रवाल के चेयरमैन पत्नी पूनम अग्रवाल समेत सपा छोड़ कर भाजपा में आने और पूर्व राज्यमंत्री आबिद रजा की सपा में घर वापसी से जनपद में राजनीतिक समीकरण दिलचस्प हो गए हे,इसकी वजह से सभी राजनीतिक दलों को एक बार फिर से अपनी राजनीतिक रणनीति बदलनी होगी।