पराली जलाने की घटनाओं को रोकथाम के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाए : डीएम
बदायूं। जिलाधिकारी दीपा रंजन ने अवगत कराया है कि प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश के निर्देशों के क्रम में खरीफ मौसम में फसल अवशेष जलाये जाने से उत्पन्न हो रहे। प्रदूषण की रोकथाम हेतु मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटिशन (सिविल) एस0सी0 मेहता बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया व अन्य एवं मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण में योजित ओरिजनल अप्लीकेशन गंगा लालवानी बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया व अन्य के संबंध निर्गत आदेशों के क्रम में फसल अवशेष जलाए जाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम किया जाना अनिवार्य है निदेशक रा0 राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग ने अपने पत्र दिनांक 04 अक्टूबर 2022 द्वारा पराली जलाने की घटनाओं को रोकथाम के लिए प्रभावी कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके अन्तर्गत निम्न कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करें।
(अ)इनसीटू योजनान्तर्गत यन्त्र वितरण :- भारत सरकार द्वारा संचालित फसल अवशेष प्रवंधन की योजनान्तर्गत फसल अवशेष प्रबंधन के 14 प्रकार के यन्त्र चिन्हित किये गये हैं कृषकों को यह यन्त्र उपलव्ध कराने हेतु निम्न व्यवस्था वनायी गयी है ।
1-व्यक्तिगत कृषक को कृषि यन्त्र तथा एफ0पी0ओ0 द्वारा फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना ।
2-व्यक्तिगत कृषक को 50 प्रतिशत अनुदान तथा एफ0पी0ओ0 , सहकारी समिति एवं पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु 80 प्रतिशत अनुदान पर यन्त्र विभागीय पोर्टल के माध्यम से लाभार्थी तथा यन्त्रों का चयन प्रारम्भ कर दिया गया है ।
3-चयन की पृक्रिया समयान्तर्गत पूर्ण कर ली जानी है तथा 15 अक्टूबर 2022 तक यन्त्रों का क्रय सुनिश्चित किया जाना है तदनुसार यन्त्रों के क्रय का शतप्रतिशत लक्ष्य पूर्ति कराना सुनिश्चित किया जाय ।
(ब)ः-आई0ई0सी0 के कार्यः-कृषकों को जागरूक वनाने के लिये इन्फार्मेशन एजूकेशन कम्यूनिकेशन (आई0ई0सी0) एक्टिविटी तत्काल प्रारम्भ कर दी जाय एवं कृषकों से सम्बन्धित प्रत्येक विभाग की कार्यवाही का समावेश इनमें किया जाय ।
1-जनपद स्तर पर आयोजित की जाने वाली गोष्ठियों को प्रारम्भ कर दिया जाय तथा फसल अवशेष जलाने से मिटटी , जलवायु व मानव स्वास्थ्य को होने वाली हानियों से अवगत कराया जाय ।
2-कृषकों को यह अवगत कराया जाय कि मा0 हरित अधिकरण के आदेशानुसार फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है । राजस्व विभाग के आदेश सं0-1618/01-9-2017-रा0-9 दिनांक 13 नबम्बर 2017 द्वारा पर्यावरण को हो रही क्षतिपूर्ति की बसूली के निर्देश दिये गये हैं । इसमें 02 एकड से कम क्षेत्र के लिये रू0-2500/-, 02 से 05 एकड क्षेत्र के लिये रू0-5000/-तथा 05 एकड से अधिक क्षेत्र के लिये रू0-15000/-तक पर्यावरण कम्पन्सेशन की बसूली के निर्देश दिये गये हैं ।
3-पराली जलाने की घटना पाये जाने पर सम्वन्धित को दण्डित करने के सम्बन्ध में राजस्व विभाग के शासनादेश सं0-1618/01-9-2017-रा0-9 दिनांक 13 नबम्बर 2017 द्वारा रा0 हरित अधिकरण अधिनियम की धारा -24 के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति की बसूली एवं धारा -26 के अन्तर्गत उलंधन की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्व अर्थदण्ड इत्यादि की कार्यवाही की जायेगी ।
(स)-पराली का एक्स-सीटू प्रबंधन :-
1-गत वित्तीय वष जिन कृषकों के खेत में फसल अवशेष जलाने की घटनायें सामने आयीं उन कृषकों के खेत से पराली संग्रह कर निर्धारित गौशालाओं में रखा जाय ।
2-कृषकों के खेत से पराली संग्रह करने हेतु आवश्यक धनराशि की व्यवस्था मनरेगा अथवा वित्त आयोग द्वारा की जाय ।
3-कृषकों के खेत से गौशाला स्थल तक पराली का ढुलान पंचायत राज अनुभाग-1 के शासनादेश सं0-1076/33-1-2020-3003/2017 दिनांक 02 जून 2020 के प्रस्तर -2 में दिये गये निर्देशानुसार किया जाय ।
4-पराली में उपलव्ध सिलिका की मात्रा के दृष्टिगत गौशालाओं में चारे हेतु उपयोग में लाये लाने वाले चारे की कुल मात्रा का अधिकतम 25 प्रतिशत पराली चारे को मिश्रित कर किया जाय ।
5-पराली का गौशाला स्थल में पशुओं के विछावन या अन्य उपयोग में भी लाया जाय ।
6-गतवर्षों में सफलतापूर्वक संचालित पराली दो खाद लो कार्यक्रम संचालन वृहद रूप से जनपद की गोशालाओं में अनिवार्य रूप से चलाया जाय ।
4-प्रर्वतन की कार्यवाही :-
1-प्रत्येक राजस्व ग्राम या राजस्व ग्राम कलस्टर के लिये एक राजकीय कर्मचारी को नोडल अधिकारी नामित किया जाय जो कृषकों को मध्य प्रचार प्रसार करते हुऐ फसल अवशेष न जलने देने के लिये आवश्यक कदम उठाये ।
2-राजस्व ग्राम के लेखपाल की जिम्मेदारी होगी कि वह अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनायें बिल्कुल न होने दे अन्यथा उसके विरूद्व कार्यवाही की जायेगी ।
3-समस्त थाना प्रभारियों को यथोचित समय पर निर्देश प्रसारित किये जायें कि वे अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिये प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करें तथा किसी भी दशा में फसल अवशेष न जलने दें ।
4-जनपद स्तर पर अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) की अध्यक्षता में एक सेल स्थापित करने के निर्देश पूर्व में दिये जा चुके हैं । उक्त सेल फसल कटाई से रबी की बुवाई तक आवश्यक मानीटरिंग की कार्यवाही सुनिश्चित करेगी ।
5-शासनादेश सं0-581/35-1-2018-05 दिनांक 06 अगस्त 2018 द्वारा सम्वन्धित उप जिलाधिकारी के प्रर्वतन में गठित सचल दस्ते को भी फसल कटाई के प्रारम्भ होने से पूर्व क्रियाशील कर दिया जाय । सचल दस्ते का यह दायित्व होगा कि फसल अवशेष जलाने की घटना की सूचना मिलते ही तत्काल मौके पर पहुॅचकर सम्बन्धित के विरूद्व दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करे ।
6-यह सुनिश्चित किया जाय कि फसल कटाई के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली कम्बाईन हारवेस्टर के साथ सुपर स्ट्ामैनेजमैन्ट सिस्टम अथवा स्ट्ारीपर अथवा स्ट्ारैक एवं बेलर अथवा अन्य कोई फसल अवशेष प्रबंध यन्त्र का उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा । यह भी सुनिश्चित किया जाये कि उक्त व्यवस्था वगैर कोई भी कम्बाईन हारवेस्टर से कटाई न करने पाये ।
7-यह भी सुनिश्चित किया जाय जनपद में चलने वाली प्रत्येक कम्बाईन हारवेस्टर के साथ कृषि विभाग / ग्राम्य विकास विभाग का एक कर्मचारी नामित रहे जिसके द्वारा अपनी देखरेख में कटाई का कार्य कराया जाय । यदि कोई कम्बाईन हारवेस्टर , सुपर स्ट्ा मैनेजमैन्ट सिस्टम अथवा स्ट्ारीपर अथवा स्ट्ारैक एवं बेलर या अन्य फसल अवशेष प्रबंध यन्त्रों के वगैर चलते हुऐ पायी जाये तो उसको तत्काल सीज करते हुऐ कम्बाईन मालिक के स्वंय के खर्चे पर सुपर स्ट्ा मैनेजमैन्ट सिस्टम लगवाकर ही छोडा जाय ।
8-उक्त के अतिरिक्त गन्ना की कटाई के दौरान गन्ने के पत्तियों को जलाये जाने की घटनायें भी प्रकाश में आती हैं इसके दृष्टिगत यह भी सुनिश्चित किया जाय कि गन्ने की पत्तियों को न जलाने दिया जाय ।
9-इस अवधि में कूडा जलाने की घटनाओं को रोकने के लिये प्रभावी कदम उठाये जायें ।