बरेली में शमशान की वीभात्सा कम कराई हिन्दू सोशल ट्रस्ट ने
बरेली। महानगर में सिटी स्थित अंतिम संस्कार के स्थल के सौंदर्यीकरण से लेकर हिन्दू समाज को जोड़ने के लिए होली मेला आदि की निःस्वार्थ समाज सेवा में हिन्दू सोशल सर्विस ट्रस्ट, बरेली ने अपनी एक अलग ही भूमिका निभाई। वर्ष 1961 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद तक ने बरेली आकर इसको सराहा था और यहां एक चंदन का पौधा भी रोपण किया।
बरेली में दि हिन्दू सोशल सर्विस ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 1945 में बरेली के सूर्यप्रकाश एडवोकेट के द्वारा की गई थी। इस सोशल ट्रस्ट द्वारा सिटी शमशान भूमि का संचालन किया जाता है। अब यहां 2020 में गैस आधारित शवदाह को भी प्रारंभ करा दिया गया। कोविड 19 की दूसरी लहर में उसका शवदाह को पूरी क्षमता से प्रयोग करना पड़ा। ताकि शवो का सम्मान बरकरार रहे। हिन्दू सोशल ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष होली के पश्चात् होली मिलन समारोह भी श्री गुलाव राय इण्टर कालेज में मनाया जाता है। वर्ष 2021 में भी 75 वां होली मिलन समारोह दिनांक 29 मार्च 21को कोविड नियम के साथ मनाया था। यहां लगे चंदन के पेड़ को भी वनमाफ़िया काट के ले गए थे। ट्रस्ट ने बाद में यहां संदल का पौधा पुलिस उपमहानिरीक्षक मुकुल गोयल से पुनः रोपित करा दिया।
सिटी शमशान भूमि की स्थापना का विचार के जनक स्वर्गीय सूर्य प्रकाश एडवोकेट थे। उस समय बरेली नगर से रामगंगा के किनारे शवों का अंतिम संस्कार होता था। नगर से दूर होने कारण अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कठिनाईपूर्ण एवं जटिल थी। तब उन्होंने नगर के मध्य एक शमशान भूमि बनाने का निर्णय बाबू बनवारी लाल एडवोकेट संस्थापक श्री गुलाब राय ट्रस्ट व जगदीश शरण अग्रवाल एडवोकेट के साथ मिलकर किया। इसका विरोध भी हुआ पर वह दृढ़निश्चयी थे। बरेली नगर के मध्य सिटी शमशान भूमि का निर्माण 1945 में हुआ। स्थल के समीम ऊंचे- ऊंचे टीले थे। उनका सौन्दर्यीकरण कराया वह एक टीले पर भव्य भगवान शिव का मंदिर बनवाया गया था। स्थल को सजीवता देने हेतु शिला लेखों पर सुन्दर सुविचार लिखवाये गए। शमशान भूमि की वीभत्सता को समाप्त करने हेतु हरियाली के जरिये रमणीय वातावरण विकसित किया गया। इसको देखने हेतु तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद 1961 में बरेली आये व शमशान भूमि पर एक चन्दन का पौधारोपण किया। इस प्रकार की शमशान भूमि की पहल सर्वप्रथम बरेली नगर से की गयी। आज लगभग 4 हजार शव प्रतिवर्ष दाह संस्कार हेतु सिटी शमशान भूमि में लाये जाते हैं जिसका 34 चबूतरों पर अंतिम दाह संस्कार कुशल प्रबन्धन ट्रस्ट की देखरेख में होता है।
गत कुछ वर्ष पूर्व यहां वातानुकूलित शव शैय्या एवम स्वर्ग बाहन का भी प्रबंध किया गया। सगे सम्बन्धियों के आने के इन्तजार में शव को घर में कुछ समय रखा जाता था। गर्मी के कारण बर्फ की सिल्ली आदि का प्रबंध करना पड़ता था। परन्तु इसको सुगमता देने हेतु वातानुकूलित शव शैय्या मंगाई गयी थीं। जनपद में आवश्यकता पड़ने पर इसका निशुल्क उपयोग करने की व्यवस्था ट्रस्ट की ओर से की गयी है। अब सिटी शमशान भूमि पर चार वातानुकूलित शव शैय्या उपलब्ध हैं।
शव को भूमि तक लाने हेतु 2 स्वर्गधाम वाहन की भी उपलब्धता आवश्यकतानुसार सिटी शमशान भूमि में है। अब क्योंकि निरन्तर लकड़ी की उपलब्धता कम होती जा रही है कारण वनों से लकड़ी का कटान बंद है। ट्रस्ट ने एक गैस पर आधारित शवदाह का गृह का भी निर्माण कराया है । वर्ष 2020 में शुरू यह शवदाह गृह शुरू हो गया है। इसमें लकड़ी की बचत के साथ-साथ वातावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा रहा है। कोविड काल मे इस संयंत्र का काफी इस्तेमाल भी हुआ।
ट्रस्ट के सचिव विजय गोयल के अनुसार दि हिंदू सर्विस सोशल ट्रस्ट रजिस्टर्ड हिन्दुत्व की भावना से ओत-प्रोत गत 75 वर्षों से समाज की निःस्वार्थ सेवा में क्रियाशील है। अब शमशान पर दाह संस्कार का हाथ से दिया जाने वाला प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कम्प्यूटर भी लगवाने की योजना है।
निर्भय सक्सेना पत्रकार