बरेली । साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा के कहानी संग्रह ‘कैक्टस के जंगल’ का शिक्षक विधायक डॉ हरि सिंह ढिल्लों, निदेशक आकाशवाणी डॉ अजय वीर सिंह कहानीकार सुकेश साहनी द्वारा विमोचन किया गया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद व संकल्प संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आज रानी लक्ष्मीबाई विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के सभागार में मुख्य अतिथि शिक्षक विधायक डॉ हरि सिंह ढिल्लों ने कहा कि इस कहानी संग्रह की कहानियां राष्ट्रीय चेतना, देश प्रेम व सामाजिक सरोकारों की भावना से ओतप्रोत हैं और पाठकों को सकरात्मक संदेश देती हैं । उन्होंने आशा व्यक्त की यह कहानी संग्रह पाठकों के मध्य लोकप्रियता हासिल करेगा। विशिष्ट अतिथि डॉ अजयवीर सिंह ने कहा सुरेश बाबू मिश्रा जाने-माने कहानीकार है ।यह उनका बरहवां कहानी संग्रह है । कैक्टस के जंगल कहानी संग्रह में 20 कहानियां हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है । प्रत्येक कहानी समाज को कोई ना कोई सकारात्मक संदेश अबश्य देती है । अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष साहित्य भूषण व कहानीकार सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि वर्तमान परिवेश में जो दिखाई देता है वह सच नहीं है और जो सच है वह दिखाई नहीं देता । मैंने अपने कहानियों के माध्यम से पर्दे में छुपे इसी सच को उजागर करने का प्रयास किया है । अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में लघु कथाकार व कहानीकार सुकेश साहनी ने कहा सुरेश बाबू मिश्रा सजग एवं संवेदनशील कहानीकार हैं । उनकी कहानी पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं । उन्होंने कहानी संग्रह की सफलता की कामना की । कार्यक्रम का संचालन प्रांतीय संयुक्त मंत्री रोहित राकेश ने किया कार्यक्रम में डॉ एस पी मौर्य डॉ एस पी पांडे, एस के अरोरा, विनोद कुमार गुप्ता, सुरेन्द्र बीनू सिन्हा आदि ने अपने विचार रखे। इससे पूर्व मोहन चंद पांडे ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया । उमेश चंद्र गुप्ता ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया । डॉ दीपांकर गुप्ता ने सभी का स्वागत किया । संकल्प संस्था के मंत्री गुरविंदर सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ विवेक मोहन, डॉ जितेंद्र चौहान, प्रवीण भारद्वाज, शुभम वर्मा, सुरेन्द्र नाथ, रणजीत पांचाले, आनंद गौतम, निर्भय सक्सैना, सुरेंद्र बीनू सिन्हा, अनुज कांत शर्मा, रमेश गौतम, रणधीर प्रसाद गौर, दिनेश पवन, डा ओम प्रकाश गुप्ता, देवेन्द्र उपाध्याय, सुमित मिश्रा सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित रहे । निर्भय सक्सेना