बरेली। खानकाहे आलिया नियाज़िया में शुक्रवार को को हज़रत गौस पाक के नाम का ऐतिहासिक जश्ने चिरागां अकीदत और रूहानियत के माहौल में मनाया गया। करीब ढाई सौ वर्ष पुरानी इस परंपरा की शुरुआत हज़रत शाह नियाज़ अहमद (रह.) को हज़रत गोसुल आज़म (रज़.) की बिशारत से हुई थी। मान्यता है कि 17 रबीउस्सानी को जो व्यक्ति मन्नत का चिराग उठाता है, उसकी दुआ एक वर्ष के अंदर ही पूरी होती है ऐसा मानना है। खानकाह में देर रात तक अकीदतमंदों की भारी भीड़ उमड़ी। चारों ओर मन्नतों के चिरागों की रौशनी फैली थी जो लोगों के दिलों की उम्मीदों को उजाला दे रही थी। हिन्दू-मुस्लिम सहित सभी सम्प्रदायों के लोग एक ही रंग—अकीदत और मोहब्बत—में डूबे नजर आए। हर कोई हाथों में चिराग लिये अपनी मन्नतों और दुआओं में मगन थे। भीड़ के बावजूद लोग अनुशासन और अदब के साथ कतारों में खड़े रहे। सज्जादानशीन हजरत मेंहदी मियां द्वारा देर रात तक मन्नतों के चिराग बांटे गए। देर रात रूहानी माहौल में कव्वाली और फ़ातिहा हुई, जिसके साथ जश्ने चिरागां का समापन हुआ।