खंडेलवाल कॉलेज में शिक्षण-अधिगम सामग्री पर तीन दिवसीय कार्यशाला
बरेली। केसीएमटी बरेली के शिक्षा संकाय द्वारा डी एल एड के विद्यार्थियों हेतु “शिक्षण-अधिगम सामग्री निर्माण” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।इस कार्यशाला का उद्देश्य भावी शिक्षकों को रचनात्मक एवं प्रभावशाली शिक्षण विधियों से परिचित कराना था, जिससे वे कक्षा-कक्ष को अधिक संवादात्मक,आकर्षक एवं विद्यार्थियों के अनुकूल बना सकें। कार्यशाला में डी.एल.एड. के सभी विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता करते हुए चार्ट, मॉडल एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री का निर्माण किया। उन्होंने अपनी कल्पनाशीलता, नवाचार एवं शैक्षणिक दृष्टिकोण का अद्भुत प्रदर्शन किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रोहिलखंड विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के पूर्व हेड एंड डीन प्रो. वी. आर. कुकरेती ने विद्यार्थियों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा इस प्रकार की गतिविधियाँ शिक्षण प्रक्रिया को अधिक जीवंत और व्यावहारिक बनाती हैं।उन्होंने कहा कि केसीएमटी के विद्यार्थी सदैव अत्यंत रचनात्मक कार्य करते रहे हैं और मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी वे इसी प्रकार उत्कृष्ट कार्य करते रहेंगे। महाविद्यालय के प्रबंध निदेशक डॉ. विनय खंडेलवाल ने कहा,आज के शिक्षक यदि नवाचार को आत्मसात कर लें, तो शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रहकर जीवन निर्माण की आधारशिला बन सकती है।कार्यक्रम में महानिदेशक डॉ. अमरेश कुमार, प्राचार्य डॉ. आर. के. सिंह, प्रशासनिक अधिकारी राकेश चतुर्वेदी एवं चीफ प्रॉक्टर डॉ. प्रबोध गौड़ ने कार्यशाला को विद्यार्थियों की रचनात्मकता, विश्लेषणात्मक क्षमता एवं शिक्षण कौशल को विकसित करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास बताया तथा सुझाव दिया कि ऐसी गतिविधियाँ नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. कल्पना कटियार ने बताया कि विद्यार्थियों ने पूर्ण मनोयोग एवं समर्पण के साथ कार्यशाला में भाग लिया तथा अत्यंत उत्कृष्ट शिक्षण सामग्री प्रस्तुत की, जो उनके शिक्षक रूपी व्यक्तित्व को सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगी। कार्यशाला के दौरान महाविद्यालय के विभिन्न विभागाध्यक्षों डॉ. रजत कपूर, अजीत वर्मा, शुभांशु डालाकोटी डॉ. निशा दिनकर, डॉ. शालिनी गुप्ता एवं डॉ. मोनिका सक्सेना ने विद्यार्थियों के कार्यों का अवलोकन कर उनकी प्रशंसा की। इस कार्यक्रम की सफलता में शिक्षा संकाय के प्रवक्ता डॉ. शिव स्वरूप शर्मा, डॉ. सविता सक्सेना एवं डॉ. नृपेन्द्र प्रताप सिंह का विशेष योगदान रहा।यह कार्यशाला न केवल शिक्षण सामग्री निर्माण का माध्यम बनी, बल्कि शिक्षकों के भीतर छिपी रचनात्मक ऊर्जा को भी मंच प्रदान करने में सफल रही।